States in India : नई दिल्ली। 2024 के आम चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में राज्यों की संख्या बढ़ाने को लेकर बड़ा कदम उठाने वाले हैं। दरअसल, कर्नाटक के मंत्री उमेश कट्टी ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि इस फैसले के बारे में पीएम मोदी गंभीरता से विचार कर रहें हैं। उन्होंने आगे कहा की इस बारे में पीएम मोदी 2024 के आम चुनाव के बाद फैसला सुना सकते हैं।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
बता दें उमेश कट्टी कर्नाटक की बीजेपी सरकार में खाद्य, सिविल आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री हैं। इस मामले में बड़ा बयान दिया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद देश में राज्यों की संख्या बढ़कर 50 हो जाएगी। कट्टी ने दावा किया कि पीएम के इस फैसले से उत्तरी कर्नाटक भी नया राज्य बन जाएगा और तेजी से तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ेगा।
दरअसल, मीडिया से बात करते हुए मंत्री उमेश कट्टी ने कहा कि, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 के चुनावों के बाद देश में 50 राज्य बनाने का फैसला किया है। मुझे पता चला है कि वह इस पर विचार कर रहे हैं। राज्यों को विभाजित करने का विचार अच्छा है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में जनसंख्या का बोझ बढ़ा है।
नये राज्य बनने को लेकर उमेश कट्टी ने कहा कि 50 राज्यों के गठन के कथित विचार का समर्थन करते हुए कहा कि कर्नाटक से 2 राज्य, उत्तर प्रदेश से 4, महाराष्ट्र से 3 और इसी तरह के अन्य राज्य बनने चाहिए। मंत्री कट्टी ने कहा कि छोटे राज्यों की संख्या बढ़ने से देश में रोजगार और विकास के नए रास्ते खुलेंगे और इससे देश भी खुशहाली की ओर आगे बढ़ेगा।
हालांकि मंत्री उमेश कट्टी के इस बयान को मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने खारिज कर दिया है। बोम्मई ने कहा कि उत्तरी कर्नाटक को अलग राज्य का दर्जा देने के लिए सरकार के स्तर पर कोई प्रस्ताव नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में राज्यों की संख्या बढ़ाकर 50 करने के किसी प्रपोजल के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है और न ही केंद्र सरकार ने इस बारे में किसी से डिस्कस किया है।
बता दें भारत में वर्तमान में 28 राज्य है जबकि अमेरिका में राज्यों की संख्या 50 है। इसके साथ ही देश में दिल्ली, चंडीगढ़ जैसे 9 केंद्र शासित प्रदेश भी हैं। भारत में राज्यों का गठन मूलत भाषा के आधार पर है। इस नाते देश में जितनी भी मुख्य भाषाएं हैं, उसके आधार पर राज्यों का गठन हो चुका है। लिहाजा अब नए राज्यों की मांग कोई औचित्य भी नहीं रह गया है।
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