नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि राज्य सरकार, अदालतों के लिए ‘‘एकल वादी’’ है और इसे सभी संबद्ध विभागों को साथ लेने के बाद एक एकीकृत रुख के साथ आना चाहिए।
न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह टिप्पणी इस बात पर गौर करते हुए की कि मई 1965 की अधिसूचना से संबंधित मामले में मिजोरम सरकार के वन और राजस्व विभागों के बीच कुछ आपसी विवाद जान पड़ता है।
शीर्ष अदालत ने उल्लेख किया कि गौहाटी उच्च न्यायालय की आइजोल पीठ के एकल न्यायाधीश ने जनवरी 2021 में, असम राजपत्र में 19 मई 1965 को जारी अधिसूचना को कानून में टिकने योग्य नहीं बताया था।
अधिसूचना में मिजो जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा पारित आदेश को अधिसूचित करते हुए, तुइरियल नदी और 15 अन्य नदियों के दोनों ओर आधे मील के भीतर स्थित वनों को परिषद द्वारा आरक्षित वन घोषित किया गया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष अपील की थी, लेकिन 9 नवंबर 2022 को उसने अपील वापस लेने की छूट मांगी और आवश्यकता पड़ने पर नयी अपील दायर करने की भी छूट मांगी।
शीर्ष अदालत ने मिजोरम राज्य और राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) सहित विभिन्न पक्षों की इन दलीलों पर गौर किया कि एकल न्यायाधीश का फैसला विभिन्न समस्याएं उत्पन्न कर रहा है और यह उचित होगा कि अपील को बहाल किया जाए और कानून के अनुसार गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जाए।
शीर्ष अदालत की पीठ में न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का प्रयोग करने तथा अपील को उच्च न्यायालय की खंडपीठ के पास बहाल करने का उपयुक्त मामला है।
अपील को बहाल करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘मामले के महत्व को ध्यान में रखते हुए, हम उच्च न्यायालय से अनुरोध करते हैं कि वह उक्त अपील पर यथाशीघ्र और किसी भी स्थिति में आज से तीन महीने की अवधि के भीतर निर्णय करे।’’
शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि उसने जुलाई में उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के फैसले पर रोक लगा दी थी और उक्त आदेश अपील के निस्तारण तक लागू रहेगा।
शीर्ष अदालत ने कहा कि यह उचित होगा कि मिजोरम के मुख्य सचिव राजस्व और वन विभाग के सचिवों के साथ बैठक करें ताकि इस मुद्दे को सुलझाया जा सके।
न्यायालय ने कहा, ‘‘हम अनुरोध करते हैं कि इसे यथासंभव शीघ्रता से किया जाए ताकि क्षेत्र के विकास के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण परियोजनाएं रुकी न रहें।’’
भाषा सुभाष नरेश
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