कोलकाता, 20 नवंबर (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) भर्ती घोटाला से जुड़े मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और चार अन्य आरोपियों की जमानत याचिका पर बुधवार को विभाजित फैसला दिया।
न्यायमूर्ति अरिजीत बंद्योपाध्याय ने जहां पीठ के समक्ष अपील करने वाले सभी नौ आरोपियों की जमानत मंजूर कर ली, वहीं न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा रॉय ने चटर्जी और शिक्षा विभाग के चार पूर्व अधिकारियों – सुबीरेश भट्टाचार्य, अशोक साहा, कल्याणमय गंगोपाध्याय और शांति प्रसाद सिन्हा को जमानत दिए जाने के खिलाफ फैसला सुनाया।
हालांकि, दोनों न्यायाधीश इस मामले में चार अन्य संदिग्धों – कौशिक घोष, सुब्रत सामंत रॉय, एसके अली इमाम और चंदन उर्फ रंजन मंडल को जमानत देने पर सहमत हुए। उन पर पैसे लेकर नौकरी देने के मामले में एजेंट और बिचौलिए के रूप में कार्य करने के आरोप लगाए गए थे।
वरिष्ठ वकीलों के अनुसार, पांच आरोपियों से संबंधित मामला, जिसमें न्यायालय स्पष्ट निर्णय पर पहुंचने में विफल रहा है, अब मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम को स्थानांतरित किया जाएगा और वह यह मामला तीसरी पीठ को सौंपेंगे।
चटर्जी को 23 जुलाई 2022 को प्रवर्तन निदेशालय ने राज्य स्कूल भर्ती घोटाला मामले में गिरफ्तार किया था और बाद में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भी उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। सीबीआई ने उसी मामले में विभाग के चार अधिकारियों को भी बाद में गिरफ्तार किया था।
चटर्जी दो साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं। उन्होंने पहले भी कई मौकों पर उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में जमानत याचिकाएं दायर की हैं। उनकी याचिकाएं अदालत की एकल पीठ और खंडपीठ द्वारा खारिज कर दी गईं।
तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेता ने ईडी द्वारा उनके खिलाफ दर्ज मामलों में भी जमानत याचिका दायर की थी। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की पीठ ने इस साल अप्रैल में सुनवाई पूरी होने के बाद उस याचिका को भी खारिज कर दिया था।
साल 2022 में चटर्जी की गिरफ्तारी के बाद, ईडी ने उनकी ‘करीबी सहयोगी’ अर्पिता मुखर्जी के दो फ्लैट से लगभग 50 करोड़ रुपये नकद और सोने के आभूषण और विदेशी मुद्राएं बरामद की थीं। मुखर्जी फिलहाल प्रेसीडेंसी सुधार गृह में बंद हैं।
भाषा नोमान अविनाश
अविनाश
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