चेन्नई, 11 जनवरी (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने शनिवार को महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों की सुनवाई के लिए सात विशेष अदालतें स्थापित करने और ऐसे मामलों को तेजी से निपटाने के लिए जिलों में एक पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में एक विशेष समिति बनाने की घोषणा की।
स्टालिन ने राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के जवाब में यह भी कहा कि यौन अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए कैदियों की समय से पहले रिहाई की अनुमति न देने के लिए ‘तमिलनाडु कारागार नियमावली’ में उचित संशोधन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों से जुड़े मामलों की विशेष सुनवाई के लिए मदुरै, तिरुनेलवेली, कोयंबटूर, सेलम, तिरुचिरापल्ली, चेन्नई और चेन्नई उपनगरों में विशेष अदालतें स्थापित की जाएंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे आपराधिक मामलों के संबंध में प्रत्येक जिले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में एक विशेष समिति गठित की जाएगी, ताकि मामलों का शीघ्र निष्पादन हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार में पुलिस विभाग स्वतंत्र रूप से काम कर रहा है, उपद्रवी तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है और बड़े पैमाने पर अपराधों को रोका गया है।
उन्होंने कहा, “अगर कोई अपराध होता है, तो आरोपी को तुरंत गिरफ्तार किया जाता है। किसी भी आरोपी को कोई नहीं बचाता। अपराध करने वालों को उचित और कठोर सजा दिलाई जा रही है।”
तमिलनाडु विधानसभा ने दिसंबर 2024 में यहां एक विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली छात्रा से यौन उत्पीड़न के मामले की पृष्ठभूमि में दुष्कर्म के मामलों में केंद्रीय कानून भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) में दिए गए प्रावधान से अधिक कठोर दंड का प्रावधान करने वाले संशोधन विधेयक को मंजूरी दी।
नये प्रावधानों के तहत तमिलनाडु में दुष्कर्म के लिए न्यूनतम सजा 14 वर्ष सश्रम कारावास (आरआई) है और इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है तथा उसपर जुर्माना लगाया जा सकता है।
बीएनएस में न्यूनतम सजा 10 वर्ष है और इसे आजीवन कारावास और जुर्माना तक बढ़ाया जा सकता है।
अगर किसी पुलिस अधिकारी, सरकारी कर्मचारी, सशस्त्र बल के सदस्य, जेल या अस्पताल के कर्मचारी, शिक्षक और किसी ऐसे व्यक्ति ने दुष्कर्म किया है, जो भरोसेमंद या अधिकार वाले पद पर है तो उसके लिए न्यूनतम सजा बीस वर्ष सश्रम कारावास की होगी।
आजीवन कारावास की भी सजा हो सकती है। बीएनएस में 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है, जो आजीवन कारावास और जुर्माने तक बढ़ाया जा सकता है।
भाषा जितेंद्र धीरज
धीरज
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