नेहरू के पत्रों को प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय को लौटा दें सोनिया गांधी: भाजपा |

नेहरू के पत्रों को प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय को लौटा दें सोनिया गांधी: भाजपा

नेहरू के पत्रों को प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय को लौटा दें सोनिया गांधी: भाजपा

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Modified Date: December 16, 2024 / 04:12 PM IST
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Published Date: December 16, 2024 4:12 pm IST

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी से कहा कि उन्हें भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की ओर से विभिन्न हस्तियों को लिखे गए पत्रों को प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय को लौटा देना चाहिए।

पार्टी ने कहा कि ऐतिहासिक दस्तावेज देश की संपत्ति होते हैं न कि किसी की निजी संपत्ति।

भाजपा सांसद और प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय की ओर से लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी से किए गए उस संवाद का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि भारत में अंतिम ब्रिटिश वायसराय की पत्नी एडविना माउंटबेटन और प्रतिष्ठित नेताओं जयप्रकाश नारायण और जगजीवन राम के साथ नेहरू के पत्राचार के रिकॉर्ड पूर्ववर्ती नेहरू म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी में थे, जिसने उन्हें 2008 में सोनिया गांधी को लौटा दिया था।

नेहरू संग्रहालय का विस्तार सभी प्रधानमंत्रियों के स्मारकों को शामिल करने के लिए किया गया था और केंद्र में भाजपा के सत्ता में आने के बाद इसका नाम बदलकर प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय रखा गया था।

पात्रा ने संवाददाताओं को बताया कि नेहरू के पत्राचार के 51 बक्से संग्रहालय के तत्कालीन निदेशक की मंजूरी के बाद सोनिया गांधी को दिए गए थे।

उन्होंने बताया कि कानूनी राय के बाद पीएमएमएल के 29 सदस्यों में से एक रिजवान कादरी ने हाल में लोकसभा में विपक्ष के नेता गांधी को पत्र लिखकर कागजात संग्रहालय के संरक्षण में बहाल करने में उनकी मदद मांगी है।

भाजपा नेता ने कहा कि कादरी को अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।

गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए पात्रा ने कहा कि यह व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है बल्कि ऐतिहासिक दस्तावेज भारत के ‘खजाने’ का हिस्सा हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि चूंकि नेहरू इस परिवार के सदस्य थे, इसलिए वे उनके पत्रों पर हक की भावना से ग्रस्त हैं।

उन्होंने पूछा, ‘‘पत्र की सामग्री क्या थी जिसे प्रथम परिवार ने महसूस किया कि सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए?’’

उन्होंने कहा कि संग्रहालय में डिजिटलीकरण की प्रक्रिया 2010 में शुरू हुई थी लेकिन गांधी परिवार ने उससे पहले ही पत्रों को वापस लेने का फैसला किया।

पात्रा ने इससे पहले लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया था, लेकिन केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने यह कहते हुए जवाब देने से इनकार कर दिया कि उनका प्रश्न पहले से प्रस्तुत लिखित प्रश्न से संबंधित नहीं है।

मंत्री ने यह भी कहा था कि सदस्य ने जो सुझाव दिया है, उस पर विचार किया जाएगा।

भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र नरेश

नरेश

 

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