नई दिल्ली। दिवाली में गरीब, अमीर सभी जमकर पटाखें फोड़ते हैं। देशभर में लोग करोड़ों का पटाखा फूंक देते हैं। लेकिन आपको इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि एक फुलझड़ी आपकी और आपके बच्चे का कितना जीवन कम कर देती है। एक अनार और एक लड़ी किस कदर बीमार कर देती है।
पुणे की चेस्ट रिसर्च फाउंडेशन के मुताबिक, एक स्नैक टेबलेट यानी सांप अगर तीन मिनट तक जलता है, तो उससे 60 हजार मिलीग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा पार्टिकुलेट मैटर यानी PM 2.5 निकलता है।
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इसी तरह अगर एक लड़ी जलाते हैं और वो 6 मिनट तक जलता है तो उससे 40 हजार मिलीग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा पार्टिकुलेट मैटर निकलता है। अक्सर हम बच्चों को पुल पुल यानी string sparkler थमा देते हैं, लेकिन ये तीन मिनट के अंदर 30 हजार मिलीग्राम प्रति घनमीटर तक पार्टिकुलेट मैटर छोड़ता है।
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सभी की पसंदीदा फुलझड़ी भी पर्यावरण के लिए कम खतरनाक नहीं है. एक फुलझड़ी दो मिनट के अंदर 10 हजार मिलीग्राम प्रति घनमीटर तक पार्टिकुलेट मैटर पैदा करता है. एक चकरी अगर पांच मिनट तक चलाते हैं तो इससे भी फुलझड़ी के करीब-करीब बराबर ही धुआं निकलता है. और फिर अनार पर हुई रिसर्च में पाया गया है कि ये करीब पांच हजार मिलीग्राम प्रति घनमीटर तक धुआं छोड़ता है।
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कई राज्यों ने पटाखों पर लगाया पूरी तरह से प्रतिबंध
कई राज्यों ने इस दिवाली को सिर्फ दीये के साथ मनाने का फैसला किया है. दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और असम, ये ऐसे राज्य हैं जहां पर पटाखा पूरी तरह से प्रतिबंधित है. बाकी जगहों पर ग्रीन पटाखे इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई है।
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क्योंकि ग्रीन पटाखे 40 परसेंट कम नुकसानदेह होते हैं. आपको बता दें कि ये पटाखे भी सेहत और पर्यावरण के लिए बहुत ही नुकसानदेह होते हैं, लेकिन आम पटाखों की तुलना में इससे थोड़ा कम नुकसान होता है. इसलिए बेहतर यही है कि पटाखों से जितना ज्यादा हो सके, उतनी दूरी बनाए रखें.