नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया कि वह किसानों की मांगों को नजरअंदाज न करें और पिछले 53 दिनों से अनशन कर रहे जगजीत सिंह डल्लेवाल की जान बचाने के लिए कदम उठाएं।
सांसदों और मुख्यमंत्रियों के माध्यम से मोदी को भेजे जाने वाले एक पत्र में एसकेएम ने किसानों के प्रति केंद्र सरकार के ‘उदासीन रवैये’ पर चिंता जताई है, जो फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं।
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान पिछले साल 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू बॉर्डर व खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं, जब सुरक्षा बलों ने उन्हें केंद्र सरकार पर एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगों को मानने का दबाव बनाने के लिए दिल्ली तक मार्च करने से रोक दिया था।
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के संयोजक डल्लेवाल किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर पिछले साल 26 नवंबर से खनौरी सीमा पर अनिश्चितकालीन अनशन कर रहे हैं।
निरस्त किए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले एसकेएम ने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया है कि “वह भारत के किसानों द्वारा उठाई जा रही मांगों को नजरअंदाज न करें, भारत सरकार द्वारा 9 दिसंबर 2021 को एसकेएम को दिए गए लिखित आश्वासनों को लागू करें और जगजीत सिंह डल्लेवाल की जान बचाने के लिए कदम उठाएं, जो पिछले 53 दिनों से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं।
एसकेएम ने सांसदों और मुख्यमंत्रियों को संबोधित पत्र में कहा, “हम केंद्र सरकार के लगातार जारी उदासीन रवैया पर चिंता जताते हुए आपको भारत के कृषक समुदाय और समग्र रूप से अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले बेहद गंभीर मुद्दों के समाधान के लिए यह पत्र लिख रहे हैं। हमें उम्मीद है कि आप इन मुद्दों को भारत सरकार, खासकर प्रधानमंत्री मोदी के सामने उठाएंगे।”
डल्लेवाल के अनशन के मुद्दे पर पत्र में कहा गया है, “अगर एक बेशकीमती जीवन सिर्फ इसलिए समाप्त हो जाए, क्योंकि सरकार ने प्रतिक्रिया न देना उचित समझा, तो यह देश के लिए बहुत बड़ी त्रासदी होगी। हमारा मानना है कि केंद्र सरकार को बातचीत करनी चाहिए और उनकी जान बचानी चाहिए।”
किसान संगठन ने कृषि बाजारों के लिए राष्ट्रीय नीति ढांचे के मसौदे का भी विरोध किया और इसे अब निरस्त किए गए कृषि कानूनों का “पुनर्जन्म” करार दिया।
उसने कहा, “यह मसौदा पूरी तरह से सभी कृषि कार्यों को निजी निगमों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को सौंपने की रणनीति का हिस्सा है। यह नीति किसी भी एमएसपी या सरकारी खरीद या पीडीएस के माध्यम से खाद्य वितरण को मंजूरी देने पर पूरी तरह से चुप रहकर अपने किसान विरोधी इरादे को प्रमुखता से प्रदर्शित करती है।”
एसकेएम ने सांसदों और मुख्यमंत्रियों से कहा, “हम आपसे आग्रह करते हैं कि आप इस जनविरोधी, कॉर्पोरेट समर्थक नीति पर नजर दौड़ाएं और इसके खिलाफ आवाज उठाएं। हम आपकी विधानसभाओं से अनुरोध करते हैं कि कृपया इस मसौदे को अस्वीकार करें और तुरंत केंद्र सरकार को सूचित करें।”
संगठन ने सांसदों और मुख्यमंत्रियों से प्रधानमंत्री को भारत के किसानों को दिए गए उनके लिखित आश्वासन की याद दिलाने का आग्रह किया।
उसने कहा, “हम आपसे यह भी आग्रह करते हैं कि आप प्रधानमंत्री से इन सभी मुद्दों पर सभी किसान संगठनों, मुख्यमंत्रियों और सभी राजनीतिक दलों के साथ तुरंत बातचीत करने के लिए कहें, ताकि इन समस्याओं का समाधान किया जा सके।”
भाषा पारुल माधव
माधव
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