मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बीते दिनों पीएम मोदी से मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच मराठा आरक्षण, कोरोना संक्रमण, वैक्सीनेशन सहित कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। वहीं, दूसरी ओर ठाकरे-मोदी की मुलाकात को लेकर प्रदेश के सियासी गलियारों में कयासों का बाजार गर्म है। अटकलें लगाई जा रही है कि अब शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी के रिश्तों में खटास आने लगी है। वहीं, दूसरी ओर आज राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के 22वें स्थापना दिवस पर एनसीपी चीफ शरद पावर का बड़ा बयान सामने आया है।
22वें स्थापना दिवस के कार्यक्रम के दौरान सभा को संबोधित करते हुए शरद पवार ने कहा है कि 1977 में जब पूरा राजनीतिक परिदृश्य इंदिरा गांधी के खिलाफ था, एक व्यक्ति था जो उनके साथ खड़ा था, और वह थे बाल ठाकरे। उन्होंने उनसे वादा किया कि वह उनकी पार्टी के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारेंगे, और वह अपनी बात पर कायम रहे। इसी तरह सत्ता में शिवसेना हमारे साथ है। जो लोग उस बैठक के बाद शिवसेना के रुख में बदलाव पर सवाल उठा रहे हैं, वे अलग जन्नत में रह रहे हैं।
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पवार ने आगे कहा कि ठाकरे-मोदी की मुलाकात के बाद बातचीत के बावजूद, हमें विश्वास है कि हमारी सरकार 5 साल तक चलेगी। हम आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भी लोगों की बेहतरी के लिए काम करना जारी रखेंगे। आपको बता दें कि बैठक के बाद शरद पवार की यह पहली प्रतिक्रिया है। बयान को उद्धव को क्लीन चिट और अपनी बात रखने की याद दोनों के रूप में देखा जा रहा है।
वहीं, दूसरी ओर शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा है कि मुख्यमंत्री का दिल्ली दौरा राजनीतिक कारणों से नहीं था। जो लोग इसमें राजनीति देखते हैं, उन्हें अपनी सोच से खुश होने दें। इस बैठक को लेकर बहुत सारी अटकलें होंगी। हम केवल यह उम्मीद करते हैं कि महाराष्ट्र के साथ लंबित मुद्दे केंद्र जल्द हल करे।
बता दें कि सीएम ठाकरे ने हाल ही में पीएम मोदी से मुलाकात की थी। मोदी के साथ मुलाकात पर एक सवाल के जवाब में ठाकरे ने कहा था कि राजनीतिक रूप से आज हम उनके साथ नहीं हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हमारे संबंध समाप्त हो गए हैं। उनसे (मोदी) अकेले में मुलाकात में भी कुछ गलत नहीं है। मैं (पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री) नवाज शरीफ से मिलने नहीं गया था। अगर मैं उनसे व्यक्तिगत मुलाकात करने गया तो इसमें गलत क्या है?
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