शिरोमणि अकाली दल पंजाब में विधानसभा उपचुनाव नहीं लड़ेगा |

शिरोमणि अकाली दल पंजाब में विधानसभा उपचुनाव नहीं लड़ेगा

शिरोमणि अकाली दल पंजाब में विधानसभा उपचुनाव नहीं लड़ेगा

:   Modified Date:  October 24, 2024 / 10:58 PM IST, Published Date : October 24, 2024/10:58 pm IST

चंडीगढ़, 24 अक्टूबर (भाषा) शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि वह पंजाब विधानसभा की चार सीटों के लिए 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में भाग नहीं लेगा।

यह फैसला शिरोमणि अकाली दल की कार्यसमिति और पार्टी के जिला अध्यक्षों की यहां हुई एक आपात बैठक में लिया गया।

यह कदम शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को अकाल तख्त से कोई अस्थायी राहत नहीं मिलने के एक दिन बाद उठाया गया है। अकाल तख्त ने बादल को 2007 से 2017 तक उनकी पार्टी और सरकार द्वारा की गई ‘गलतियों’ के लिए “तनखैया” (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किया है।

हालांकि, अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि शिअद उपचुनाव लड़ सकता है और उस पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

प्रदेश की चार विधानसभा सीटों – गिद्दड़बाहा, डेरा बाबा नानक, चब्बेवाल और बरनाला – पर 13 नवंबर को उपचुनाव होंगे। इन क्षेत्रों के विधायकों के लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद उपचुनाव जरूरी हो गए थे।

पार्टी के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने निर्णय लिया है कि हम पंथ के हितों और पंथिक संस्थाओं की गरिमा और सम्मान को ध्यान में रखते हुए चार विधानसभा सीटों के उपचुनावों से खुद को दूर रखेंगे।’’

उन्होंने कहा कि बैठक में इस संबंध में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया।

चीमा ने कहा कि शिअद कार्यकर्ता चाहते थे कि बादल गिद्दड़बाहा से चुनाव लड़ें क्योंकि इस सीट का प्रतिनिधित्व लंबे समय से पार्टी संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने किया था।

उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता भी उपचुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन जत्थेदार के आदेश के बाद यह स्पष्ट हो गया कि बादल चुनाव नहीं लड़ सकते और न ही चुनाव प्रचार में हिस्सा ले सकते हैं।

शिअद नेता ने कहा, ‘‘हम अकाल तख्त के आदेश के खिलाफ कभी नहीं जा सकते।’’

चीमा ने कहा, ‘‘ आज की बैठक में यह भावना प्रबल हुई कि पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने पार्टी की ओर से पूर्ववर्ती अकाली सरकार के दौरान हुई सभी चूकों की नैतिक जिम्मेदारी ली है। कार्यकारिणी समिति, जिला अध्यक्षों और निर्वाचन क्षेत्र प्रभारियों ने महसूस किया कि चूंकि परिवार के मुखिया (बादल) को श्री अकाल तख्त द्वारा उपचुनावों में भाग लेने से मना किया गया है, इसलिए वे भी इस प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते। सभी का मानना ​​था कि उन्हें स्वयं को शिअद अध्यक्ष के परिवार का हिस्सा मानना ​​चाहिए और उसी के अनुसार कार्य करना चाहिए।’’

चीमा ने कहा कि शिअद पूरी तरह से अकाल तख्त के प्रति समर्पित है तथा सिखों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ के सभी निर्देशों का पालन करने के प्रति कृतसंकल्प है।

उन्होंने आम आदमी पार्टी, केंद्र सरकार, भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर शिअद को नेतृत्वहीन करने की साजिश रचने का आरोप लगाया।

हालांकि, अकाल तख्त के जत्थेदार ने कहा कि बादल को चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती, लेकिन उनकी पार्टी पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

इससे पहले, मंगलवार को शिअद के एक प्रतिनिधिमंडल ने जत्थेदार से मुलाकात की और उनसे पंजाब में चार विधानसभा क्षेत्रों के लिए 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव की खातिर बादल को पार्टी के चुनाव अभियान का नेतृत्व करने के लिए छूट देने का आग्रह किया था।

अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने बुधवार को कहा था कि धार्मिक कदाचार का दोषी तब तक ‘‘तनखैया’’ ही रहता है जब तक उसे धार्मिक सजा नहीं दी जाती।

सिखों के सर्वोच्च धार्मिक निकाय अकाल तख्त ने 30 अगस्त को सुखबीर बादल को उनकी पार्टी और उनकी सरकार द्वारा 2007 से 2017 तक की गई ‘गलतियों’ के लिए ‘‘तनखैया’’ घोषित किया था।

भाषा रवि कांत प्रशांत

प्रशांत

 

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