कोच्चि: Court on Sexual relations केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि स्वेच्छा से दो वयस्कों के बीच बनाया गया यौन संबंध बलात्कार नहीं माना जाएगा, जब तक कि यौन संबंध के लिए सहमति छल से या गुमराह कर नहीं ली गई हो। अदालत ने यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किये गये केंद्र सरकार के एक वकील को जमानत देते हुए यह कहा। अधिवक्ता पर उसकी सहकर्मी ने यह आरोप लगाया था।
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Sexual relations between two adults न्यायमूर्ति बेचू कुरियन थॉमस ने आयकर विभाग के वकील नवनीत नाथ को जमानत दे दी, जिन्हें कोल्लम निवासी एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर 21 जून को यहां पुलिस ने गिरफ्तार किया था। महिला ने आरोप लगाया था कि नाथ ने उससे विवाह करने का झूठा वादा कर उसके साथ बलात्कार किया।अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यदि स्वेच्छा से पार्टनर रहे दो व्यक्तियों के बीच यौन संबंध विवाह तक नहीं पहुंचता है तो भी यह सहमति से बनाये जाने वाले यौन संबंध को नुकसान पहुंचाने वाले किसी कारक के अभाव में बलात्कार नहीं माना जाएगा।
न्यायमूर्ति थॉमस ने अपने आदेश में कहा, ‘‘स्वेच्छा से दो युवा पार्टनर के बीच बनाया गया यौन संबंध भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत तब तक बलात्कार नहीं माना जाएगा, जब तक कि यौन संबंध के लिए सहमति छल से या गुमराह कर नहीं ली गई हो…बाद में विवाह के लिए इनकार करना या संबंध के विवाह में तब्दील होने में नाकाम रह जाना ऐसे कारक नहीं हैं जो बलात्कार के आरोप के लिए पर्याप्त हों…।’’ अदालत ने कहा कि एक पुरुष और एक महिला के बीच यौन संबंध बलात्कार तभी माना जाएगा जब यह महिला की इच्छा या सहमति के बगैर बनाया गया हो या जबरन या छल से सहमति ली गई हो।
अदालत ने कहा , ‘‘शारीरिक संबंध और विवाह के वादे के बीच एक सीधा संबंध अवश्य होना चाहिए।’’ उल्लेखनीय है कि अभियोजन ने आरोप लगाया था कि नाथ ने पीड़िता से विवाह का वादा कर उसके साथ कई स्थानों पर कई बार बलात्कार किया लेकिन बाद में किसी अन्य महिला से शादी करने का निर्णय किया। वकील को एक लाख रुपये की जमानत राशि और इतनी ही रकम के दो मुचलके भरने पर जमानत दी गई।