पूरे समर्पण भाव से देश सेवा की: प्रधान न्यायाधीश |

पूरे समर्पण भाव से देश सेवा की: प्रधान न्यायाधीश

पूरे समर्पण भाव से देश सेवा की: प्रधान न्यायाधीश

:   Modified Date:  October 9, 2024 / 06:47 PM IST, Published Date : October 9, 2024/6:47 pm IST

नयी दिल्ली, नौ अक्टूबर (भाषा) प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ अगले महीने सेवानिवृत्त हो रहे हैं और उनका कहना है कि उन्होंने इस ‘भय और चिंता’ के बीच पूरे समर्पण के साथ देश की सेवा की है कि इतिहास उनके कार्यकाल का कैसे मूल्यांकन करेगा।

भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश का दो साल का कार्यकाल 10 नवंबर को समाप्त हो जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं खुद को इन सवालों पर विचार करते हुए पाता हूं कि क्या मैंने वह सब हासिल किया जो मैंने लक्ष्य रखा था? इतिहास मेरे कार्यकाल का कैसे मूल्यांकन करेगा? क्या मैं कुछ अलग कर सकता था? मैं न्यायाधीशों और कानूनी पेशेवरों की भावी पीढ़ियों के लिए क्या विरासत छोड़ जाऊंगा?’’

प्रधान न्यायाधीश ने भूटान में ‘जिग्मे सिंग्ये वांगचुक स्कूल ऑफ लॉ’ के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘इनमें से ज्यादातर सवालों के जवाब मेरे नियंत्रण से बाहर हैं और शायद, मैं इनमें से कुछ सवालों के जवाब कभी नहीं पा सकूंगा। हालांकि, मैं जानता हूं कि पिछले दो साल में, मैं हर सुबह इस प्रतिबद्धता के साथ जागा हूं कि मैं अपना काम पूर्ण समर्पण भाव से करूंगा और इस संतुष्टि के साथ सोता हूं कि मैंने अपने देश की पूरी लगन से सेवा की है।’’

प्रधान न्यायाधीश ने ऐसे समय में ‘कमजोर’ पड़ने के लिए खेद जताया, जब वह पद छोड़ने वाले हैं। उन्होंने कहा कि वह भविष्य और अतीत की डर और चिंताओं से ‘बहुत अधिक चिंतित’ हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जब आप अपनी यात्रा की जटिलताओं से निपट रहे हों, तो एक कदम पीछे हटने, पुनर्मूल्यांकन करने और खुद से पूछने से न डरें कि ‘‘क्या मैं किसी मंजिल की ओर दौड़ रहा हूं, या मैं खुद की ओर दौड़ रहा हूं? अंतर सूक्ष्म है, फिर भी गहरा है। आखिरकार, दुनिया को ऐसे नेताओं की जरूरत है जो सिर्फ महत्वाकांक्षा से नहीं बल्कि उद्देश्य से प्रेरित हों।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि जब किसी को अपनी क्षमताओं और मंशाओं में विश्वास की भावना होती है तो उसके लिए परिणामों के बारे में अधिक चिंता करना छोड़ देना तथा उन परिणामों की ओर जाने वाली प्रक्रिया और यात्रा को महत्व देना आसान हो जाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ सालों में मैंने इस बात को महसूस किया है कि हमारे समाज के लिए योगदान की हमारी क्षमता की जड़ें हमारे आत्म-बोध में और आत्म-कल्याण की क्षमता में निहित हैं।’’

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि गंतव्य तक पहुंचने को लेकर आशंकाओं में उलझने के बजाय लक्ष्य की ओर यात्रा का आनंद लेना चाहिए।

प्रधान न्यायाधीश ने न्याय प्रणाली की दक्षता बढ़ाने के लिए तकनीकी, प्रशासनिक और बुनियादी ढांचे में सुधार की शुरुआत करने के अलावा सार्वजनिक जीवन को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर फैसले सुनाए हैं।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने 13 मई, 2016 को शीर्ष अदालत में पदभार ग्रहण किया था।

भाषा वैभव देवेंद्र

देवेंद्र

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