नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि राष्ट्रों की सुरक्षा और समृद्धि महासागरों से घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई है और सरकार ने भारत की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई परिवर्तनकारी कदम उठाए हैं।
नाइजीरिया स्थित कैंप कार्यालय से भेजे गए अपने संदेश में मोदी ने मानवता के समृद्ध भविष्य की साझेदारी के वास्ते आम सहमति बनाने के लिए नयी दिल्ली में आयोजित किए जा रहे ‘सागरमंथन, महासागर संवाद’ को सफल बनाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, ‘‘आज, राष्ट्रों की सुरक्षा और समृद्धि महासागरों से घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई है। महासागरों की क्षमता को समझते हुए, भारत की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई परिवर्तनकारी कदम उठाए गए हैं।’’
दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा समुद्री विचार मंच ‘सागरमंथन’ सोमवार को शुरू हुआ।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘महासागरों की क्षमता को देखते हुए, भारत की समुद्री दक्षता को बढ़ाने के लिए कई क्रांतिकारी कदम उठाए गए हैं। पिछले दशक में ‘समृद्धि के बंदरगाह’, ‘प्रगति के बंदरगाह’ और ‘उत्पादकता के बंदरगाह’ के विजन से प्रेरित होकर हमने अपने बंदरगाहों की क्षमता को दोगुना कर दिया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ बंदरगाहों की कार्यकुशलता को बढ़ाकर, जहाज से माल उतारने तथा लादने के समय को कम करके और एक्सप्रेसवे, रेलवे तथा नदी नेटवर्क के माध्यम से शुरू से अंत तक की कनेक्टिविटी को मजबूत करके हमने भारत के समुद्र तटीय रेखा को बदल दिया है।”
भारत की समृद्ध समुद्री विरासत और इस क्षेत्र के विकास के लिए उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालते हुए मोदी ने कहा कि देश की समुद्री परंपरा कई सहस्राब्दियों पुरानी है और यह दुनिया में सबसे समृद्ध परंपराओं में से एक है।
प्रधानमंत्री ने देश की समृद्ध समुद्री विरासत और इस क्षेत्र के विकास के लिए उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “भारत की समुद्री परंपरा हजारों साल पुरानी है और यह दुनिया में सबसे समृद्ध है। लोथल और धोलावीरा के संपन्न बंदरगाह शहर, चोल वंश के बेड़े, छत्रपति शिवाजी महाराज के कार्य प्रेरणादायक हैं।’’
भाषा शफीक अविनाश
अविनाश
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