बेंगलुरु, 24 दिसंबर (भाषा) कब्बन पार्क में 21 दिसंबर को आयोजित कार्यक्रम ‘सीक्रेट सांता सैटरडे’ के दौरान उद्यान अधिकारियों द्वारा किताबें जब्त किये जाने पर ‘कब्बन रीड्स’ के आयोजकों ने कहा कि किसी भेंट समारोह में ‘सांता’ शब्द का इस्तेमाल करने से वह धार्मिक नहीं हो जाता।
पुस्तकों को जब्त करने के पीछे अधिकारियों द्वारा बताया गया एक कारण यह है कि ‘पार्क के अंदर किसी भी धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं है।’
मार्च 2023 से हर शनिवार को सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे के बीच, लोग एक चटाई और किताब लेकर आते हैं और पहले से ही वहां मौजूद अन्य लोगों के साथ मिलकर पढ़ते हैं। हर्ष स्नेहांशु और श्रुति साह द्वारा स्थापित इस समुदाय ने खुद को ‘कब्बन रीड्स’ नाम दिया है।
इसने न केवल बेंगलुरु के अन्य पार्कों में ‘लालबाग रीड्स’ जैसे कई पठन समूहों को जन्म दिया है, बल्कि कब्बन पेंट्स और कब्बन रन्स जैसे समुदायों के निर्माण का श्रेय भी इसे दिया जाता है। मुंबई में जुहू रीड्स और दिल्ली में लोधी रीड्स के साथ पुस्तक पढ़ने का यह अभियान अन्य शहरों में भी फैल गया है। सोशल मीडिया मंच पर दी गई जानकारी के अनुसार, यह अभियान वैश्विक हो गया है और अब 70 से ज्यादा शहरों तक पहुंच चुका है।
क्रिसमस के करीब आने के साथ, अपने 101वें संस्करण के लिए, कब्बन रीड्स के आयोजकों ने सीक्रेट सांता पुस्तक विनिमय में भाग लेने के लिए लोगों को गिफ्ट रैप की गयी पुस्तक के साथ आने के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन बागवानी अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया क्योंकि उन्हें लगा कि वे किताबें बेच रहे हैं। इस तीखी बहस के बाद अधिकारी किताबें लेकर चले गए। आयोजकों ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “जैसा कि हर शनिवार को हमारी मुलाकातों में होता है, इस बार भी हमारे सामान्य संस्करणों से अलग कुछ भी असाधारण नहीं था, सिवाय किताबों को उपहार स्वरूप देने के लिये उन्हें गिफ्ट पैक किये जाने के।”
सामुदायिक आयोजकों ने उन आरोपों का भी खंडन किया कि 21 दिसंबर को 1,000 से अधिक लोग एकत्र हुए थे।
विज्ञप्ति में कहा गया, “हमारे पास दस्तावेजी सबूत हैं कि आखिरी क्रमांकित पुस्तक 351 थी, जैसा कि हमने वहां उपहार में देने के लिये आयी पुस्तकों की गिनती की थी। यह मानते हुए कि पार्क में घूमने आए कुछ और लोग भी यह देखने के लिए शामिल हुए कि क्या हो रहा है, अधिकतम 450 लोग थे, जो कि कब्बन रीड्स के लिए सामान्य है।”
आयोजकों ने आरोप लगाया कि अधिकारी पहले उनके दो सदस्यों को बागवानी विभाग के कार्यालय ले गए। प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, “विभाग के अधिकारियों का रुख सहयोगात्मक नहीं था और उनका मानना था कि कब्बन रीड्स जनता को किताबें बेच रहा है और पैसा कमाने के लिए सार्वजनिक स्थान का उपयोग कर रहा है। वहां मौजूद सुरक्षा कर्मी 25,000 से 60,000 रुपये तक का जुर्माना लगाने की बात कर रहे थे।”
भाषा प्रशांत पवनेश
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