नई दिल्ली : SCO Summit 2023: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सम्मेलन में हिस्सा लेने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी गुरुवार को गोवा पहुंच गए। पिछले 12 वर्षों में यह पहला ऐसा मौका है, जब कोई पाकिस्तानी विदेश मंत्री भारत दौरे पर आ रहा है। इससे पहले साल 2011 में तत्कालीन विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार भारत आई थीं। जरदारी ऐसे मौके पर भारत आए हैं, जब दोनों देशों के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण हैं।
साल 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक की थी, जिसके बाद दोनों देशों के संबंध निम्नतम स्तर पर पहुंच गए। इसके अलावा जब 5 अगस्त 2019 को भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय कर दिया था, तब तनाव चरम पर पहुंच गया था। भारत के इस फैसले के बाद पाकिस्तान ने आपत्ति जताई थी और व्यापारिक संबंध खत्म कर दिए। अब दोनों के बीच सिर्फ राजयनिक संबंध ही हैं।
SCO Summit 2023: शं भारत और पाकिस्तान दोनों की नजर में एससीओ की काफी अहमियत है। जब साल 2017 में दोनों देश इसमें शामिल हुए थे, तब शर्त यह थी कि ये दोनों अपने द्विपक्षीय मुद्दों को नहीं बल्कि बहुपक्षीय हितों को देखेंगे। हालांकि पाकिस्तान ये लिए एससीओ इसलिए भी अहम है क्योंकि एससीओ का लीडर चीन है, जो उसका जिगरी दोस्त है। वहीं रूस के साथ भी संबंध मजबूत करने को लेकर पाकिस्तान गंभीर दिख रहा है। मौजूदा दौर में पाकिस्तान के लिए रूस ऊर्जा के क्षेत्र में अहम पार्टनर के तौर पर उभरा है।
इस संगठन से पाकिस्तान के हित भी जुड़े हुए हैं। ऐसे में वह इससे दूर रहकर खुद को अलग-थलग करना नहीं चाहेगा। भले ही भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण हैं, फिर भी पाकिस्तान के विदेश मंत्री भारत आ रहे हैं, यह इसकी पुष्टि करता है।
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इस मीटिंग में पाक के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और चीनी समकक्ष किन गांग से मुलाकात होगी। अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में पाकिस्तान वैसे ही अलग-थलग पड़ रहा है, ऐसे में इस मीटिंग का हिस्सा बनने से उसको फायदा पहुंचेगा। इसके अलावा जिन विदेश मंत्रियों के साथ एससीओ समिट में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर मुलाकात करेंगे, उसमें बिलावल का नाम नहीं है।
SCO Summit 2023: शं पाकिस्तान भयंकर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। वह दिवालिया होने की कगार पर खड़ा है। आईएमएफ यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बेलआउट पैकेज को लेकर संशय बना हुआ है। महंगाई के कारण लोग त्राहिमाम कर रहे हैं। पहले दोनों देशों के बीच अरबों डॉलर का व्यापार हुआ करता था लेकिन अब इसमें 90 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। इसके अलावा पाकिस्तान में गेहूं भी भयानक कमी है। अगर उसके कारोबारी संबंध भारत के साथ बेहतर होते तो उसको भारत से मदद मिल सकती थी।
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