नयी दिल्ली, 28 जनवरी (भाषा) केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता ज्योतिरादिय सिंधिया ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की एक टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधा और कहा कि पहले उन्हें इतिहास पढ़ना चाहिए और फिर राजघरानों के बारे में बयानबाजी करनी चाहिए।
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने सिंधिया पर पलटवार करते हुए झांसी की रानी की वीरता से संबंधित एक मशहूर कविता के एक अंश का उल्लेख करते हुए उन पर पलटवार किया और कहा कि इतिहास सिंधिया राजघराने की तरफ उंगली उठाकर रोता है।
दरअसल, राहुल गांधी ने सोमवार को मध्य प्रदेश के महू में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि आजादी से पहले दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को कोई अधिकार नहीं था, उस समय ‘केवल महाराजाओं और राजाओं को ही अधिकार प्राप्त थे।’
राहुल गांधी के बयान का हवाला देते हुए सिंधिया ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘संविधान को अपनी ‘पॉकेट डायरी’ समझने वाले नेता राहुल गांधी द्वारा आजादी से पूर्व भारत के राजपरिवारों की भूमिका को लेकर दिया गया बयान उनकी संकीर्ण सोच व समझ को उजागर करता है। सत्ता और कुर्सी की भूख में वह भूल गए हैं कि इन राजपरिवारों ने वर्षों पहले भारत में समानता और समावेशी विकास की नींव रखी थी। ‘
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी भूल गये हैं कि बड़ौदा महाराज सयाजीराव गायकवाड़ ने हमारे संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर को शिक्षा प्राप्त करने के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई थी।
उनके मुताबिक, कांग्रेस नेता यह भी भूल गए है कि ‘‘छत्रपति साहूजी महाराज ने 1902 में पहली बार देश के बहुजनों को अपनी शासन व्यवस्था में 50 प्रतिशत आरक्षण देकर सामाजिक न्याय की बुनियाद रखी थी तथा पिछड़े वर्गों को शैक्षणिक रूप से सशक्त बनाने के लिए ग्वालियर के माधव महाराज प्रथम ने पूरे ग्वालियर- चंबल में शिक्षा और रोजगार के केंद्र खुलवाये थे।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि यह तानाशाही विचारधारा को जन्म देने वाली कांग्रेस थी जिसने दलितों, वंचितों और पिछड़े वर्ग के अधिकारों पर कुठाराघात किया।
सिंधिया ने कहा, ‘राहुल गांधी, पहले इतिहास पढ़ें, फिर बयानबाजी करें।’
खेड़ा ने सिंधिया पर पलटवार करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘इतिहास आपकी ओर अंगुली उठाकर रोता है योर हाइनेस। अगर संविधान का 26 वाँ संशोधन ना हुआ होता तो आज भी भारत सरकार की तरफ़ से ग्वालियर राजघराने को करोड़ों रुपये कर मुक्त दिए जा रहे होते (सन 1950 में 25,00,000) ।’
उन्होंने दावा किया, ‘भारत में विलय की यह क़ीमत लेते रहे आप, सन 71 तक। राजघरानों की गद्दारी, उनका अंग्रेज़ों से प्रेम आप शायद भूल गए, हम सब नहीं भूल पाते।’
उन्होंने कहा, इतिहास गवाह हैं कि एक राजघराने की पिस्तौल का इस्तेमाल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या में हुआ था।
खेड़ा का कहना था, ‘अनेक राजघरानों के कुकर्मों की फेहरिस्त को चंद राजाओं की नेकी से नहीं ढ़ंका जा सकता। नेहरू और पटेल द्वारा राजे-रजवाड़ों पर दबाव बना कर लोकतंत्र की लगाम आम नागरिकों को सौंपे जाने की टीस अब तक कुछ राजपरिवारों में बाकी है।’
उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू के एक कथन का हवाला दिया और कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की रचना का उल्लेख करते हुए सिंधिया पर तंज कसा।
खेड़ा ने कहा, ‘आज फिर सुभद्रा कुमारी चौहान की यह पंक्तियां आपको याद दिला दूँ:
‘‘अँग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी,’’
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।’
भाषा हक सिम्मी मनीषा नरेश
नरेश
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)