न्यायालय ने दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी खाखा की पत्नी को जमानत देने से इनकार किया |

न्यायालय ने दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी खाखा की पत्नी को जमानत देने से इनकार किया

न्यायालय ने दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी खाखा की पत्नी को जमानत देने से इनकार किया

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Modified Date: January 24, 2025 / 12:02 PM IST
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Published Date: January 24, 2025 12:02 pm IST

नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी प्रेमोदय खाखा की पत्नी को शुक्रवार को जमानत देने से इनकार कर दिया। खाखा पर एक नाबालिग से कई बार बलात्कार करने और उसे गर्भवती करने का आरोप है।

न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने याचिकाकर्ता को एक साल बाद जमानत के लिए निचली अदालत जाने की छूट दे दी।

आरोपी की ओर से पेश हुए वकील सुभाशीष सोरेन ने दलील दी कि आरोपी अगस्त 2023 से जेल में है और मामले में आरोप पहले ही तय हो चुके हैं।

दिल्ली पुलिस के वकील ने जमानत देने का विरोध किया। हालांकि, शीर्ष अदालत इससे प्रभावित नहीं हुई और याचिका खारिज कर दी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने छह सितंबर को सीमा रानी खाखा की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि यह मामला ‘‘दो परिवारों के बीच विश्वास की जड़ पर प्रहार को दर्शाता है’’ और इस स्तर पर गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

प्रेमोदय खाखा पर नवंबर 2020 से जनवरी 2021 के बीच अपने एक परिचित की बेटी से कई बार बलात्कार करने का आरोप है। अगस्त 2023 में गिरफ्तार होने के बाद से वह न्यायिक हिरासत में है।

खाखा की पत्नी सीमा रानी ने कथित तौर पर लड़की को गर्भपात कराने के लिए दवाएं दीं। वह भी न्यायिक हिरासत में है।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि ‘‘जमानत नियम है और जेल अपवाद है’’, लेकिन अदालतों को संतुलन बनाना चाहिए, खासकर नाबालिगों के यौन उत्पीड़न के मामलों में।

अदालत ने कहा था, ‘‘मौजूदा मामले में पीड़ित अपने पिता की मृत्यु के बाद आरोपी के परिवार के साथ रहने चली गई। पीड़ित प्रेमोदय खाखा को ‘मामा’ कहती थी।’’

अदालत के अनुसार, ‘‘तथ्य बहुत गंभीर प्रकृति के हैं। यह दोनों परिवारों के बीच विश्वास की जड़ पर प्रहार करता है।’’

आरोपी महिला के वकील ने दलील दी थी कि वह 50 वर्ष की है और एक साल से हिरासत में है और नाबालिग पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोप, जिसमें गर्भावस्था का आरोप भी शामिल है, झूठे हैं।

आरोपी महिला के वकील ने कहा था कि एक मेडिकल रिपोर्ट दर्शाती है कि मुख्य आरोपी ने पहले नसबंदी करवाई थी और इसलिए वह ‘‘प्रजनन करने में असमर्थ’’ है।

हालांकि, अदालत ने इस पर कहा था कि गर्भावस्था का मुद्दा जमानत के चरण में प्रासंगिक नहीं है और आरोपी महिला को ‘‘लड़की की रक्षा करनी चाहिए थी’’।

अदालत ने कहा, ‘‘हम गर्भावस्था या गर्भपात (इस चरण में) पर बात नहीं कर रहे हैं। एक बच्ची आपके घर आती है और आप उसके साथ ऐसा बर्ताव करते हैं।’’

पीड़ित द्वारा अस्पताल में मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराने के बाद अगस्त 2023 में दोनों को गिरफ्तार किया गया था।

इस संबंध में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।

भाषा सुरभि मनीषा

मनीषा

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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