नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को मणिपुर सरकार को राज्य में ‘इनर लाइन परमिट’ (आईएलपी) की व्यवस्था को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब देने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया।
अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम के बाद मणिपुर चौथा राज्य है जहां आईएलपी व्यवस्था लागू है। आईएलपी-शासन वाले राज्यों में जाने के लिए देश के अन्य राज्यों के लोगों सहित बाहरी लोगों को अनुमति की आवश्यकता होती है।
राज्य सरकार के वकील द्वारा समय मांगे जाने के बाद न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने मणिपुर को समय दिया।
शीर्ष अदालत ने तीन जनवरी, 2022 को ‘आमरा बंगाली’ नामक संगठन द्वारा दायर याचिका पर केंद्र और मणिपुर सरकार समेत अन्य को नोटिस जारी किया था।
याचिका में तर्क दिया गया कि आईएलपी राज्य को गैर-स्वदेशी लोगों या उन लोगों के प्रवेश और निकास को प्रतिबंधित करने की अनियंत्रित शक्ति प्रदान करता है जो मणिपुर के मूल जातीय निवासी नहीं हैं।
संगठन ने कहा, ‘‘बेहद कठोर आईएलपी प्रणाली मूल रूप से इनर लाइन से परे के क्षेत्र में सामाजिक एकीकरण, विकास और तकनीकी उन्नति की नीतियों की विरोधी है और इसके अलावा यह राज्य के भीतर पर्यटन में बाधा डालती है जो इन क्षेत्रों के लिए राजस्व सृजन का एक प्रमुख स्रोत है।’’
याचिका में मणिपुर ‘इनर लाइन परमिट’ दिशानिर्देश, 2019 को भी चुनौती दी गई है।
इसमें कहा गया है कि 2019 का आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है क्योंकि यह राज्य को गैर-मूल जातीय लोगों के प्रवेश और निकास को प्रतिबंधित करने की शक्ति प्रदान करता है।
भाषा संतोष नरेश
नरेश
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)