आर जी कर अस्पताल में तैनात सीआईएसएफ कर्मियों को ठहरने की सुविधा दे राज्य सरकार : न्यायालय |

आर जी कर अस्पताल में तैनात सीआईएसएफ कर्मियों को ठहरने की सुविधा दे राज्य सरकार : न्यायालय

आर जी कर अस्पताल में तैनात सीआईएसएफ कर्मियों को ठहरने की सुविधा दे राज्य सरकार : न्यायालय

:   Modified Date:  September 9, 2024 / 06:29 PM IST, Published Date : September 9, 2024/6:29 pm IST

नयी दिल्ली, नौ सितम्बर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को सोमवार को निर्देश दिया कि वह केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के साथ संपर्क स्थापित करे तथा कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में तैनात उसके कर्मियों के लिए ठहरने की सुविधा और आवश्यक सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता आज शाम तक सुनिश्चित करे।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने राज्य सरकार को गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी और सीआईएसएफ के एक शीर्ष अधिकारी को संयुक्त रूप से कार्य करने और यह सुनिश्चित करने के लिए नामित करने का निर्देश दिया कि केंद्रीय अर्धसैनिक बल की सभी तीन कंपनियों को ठहरने की उचित सुविधा उपलब्ध करायी जाए।

शीर्ष अदालत ने केंद्र की इस बात पर गौर किया कि सीआईएसएफ की एक कंपनी को आरजी कर कॉलेज में आरएमए क्वार्टर, कोलकाता नगर निगम के एक स्कूल और इंदिरा मातृ सदन में ठहराया गया है।

पीठ ने कहा, ‘छह बसें, चार ट्रक और तीन हल्के मोटर वाहन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। हम राज्य सरकार को शाम पांच बजे तक सभी आवश्यक सामग्री और रात नौ बजे तक सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने का निर्देश देते हैं।’

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अस्पताल में सुरक्षा मुहैया कराने के लिए सीआईएसएफ की तीन कंपनियां तैनात की गई हैं और महिलाओं समेत कर्मियों को ठहरने की पर्याप्त सुविधा मुहैया नहीं करायी गयी है।

हालांकि, पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दावा किया कि बल ने जो भी सुविधाएं मांगी थीं, वे उन्हें प्रदान की गई हैं। सिब्बल ने कहा कि अधिकांश कर्मी अस्पताल परिसर में रह रहे हैं।

केंद्र ने तीन सितंबर को शीर्ष अदालत में याचिका दायर करके आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल सरकार सीआईएसएफ को रसद सहायता प्रदान करने में ‘अक्षम्य’ असहयोग कर रही है।

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार द्वारा कथित असहयोग को ‘‘व्यवस्थागत खामी का लक्षण’’ बताते हुए, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के अधिकारियों को सीआईएसएफ को पूर्ण सहयोग प्रदान करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।

शीर्ष अदालत ने इस मामले में स्वयं पहल की है और इस मामले में दायर एक अर्जी में, गृह मंत्रालय ने कहा कि याचिका ‘‘आरजी कर मेडिकल कॉलेज में सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती से संबंधित है, जिसमें छात्रावास भी शामिल हैं, जहां रेजिडेंट डॉक्टर रहते हैं, ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।’’

इसमें कहा गया है, ‘आर जी कर अस्पताल में तैनात सीआईएसएफ कर्मियों को ठहरने की सुविधा की कमी और बुनियादी सुरक्षा ढांचे की कमी के कारण गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। ये जवान वर्तमान में सीआईएसएफ यूनिट एसएमपी, कोलकाता में रह रहे हैं, जबकि यूनिट के सामने कई तरह की बाधाएं हैं।’

आवेदन में कहा गया है कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट (एसएमपी), कोलकाता से अस्पताल तक के सफर का समय एक तरफ से एक घंटे का है और प्रभावी ढंग से कर्तव्यों का निर्वहन करना और आकस्मिक स्थिति के दौरान विधिवत और तुरंत प्रतिक्रिया करने के लिए सीआईएसएफ जवानों को जुटाना मुश्किल है।

इसमें कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने 2 सितंबर को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के साथ इस मामले को उठाया था, जिसमें बल द्वारा आवश्यक पर्याप्त रसद व्यवस्था और सुरक्षा उपकरणों के लिए अनुरोध किया गया था।

आवेदन में कहा गया है, ‘यह प्रस्तुत किया गया है कि इसके बाद, इस अदालत के आदेश के तहत आरजी कर मेडिकल अस्पताल में निवासियों/कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैनात सीआईएसएफ कर्मियों को पर्याप्त सहायता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।’’

भाषा अमित माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)