नयी दिल्ली, 21 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को सभी उच्च न्यायालयों से कहा कि वे द्वितीय राष्ट्रीय न्यायाधीश वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन पर जिला न्यायिक अधिकारियों की शिकायतों के समाधान के लिए दो न्यायाधीशों की समिति के गठन में तेजी लाएं।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने यह आदेश उस समय पारित किया जब न्याय मित्र के रूप में सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने कहा कि कई उच्च न्यायालयों ने अभी तक जिला न्यायपालिका की सेवा शर्तों के लिए समितियां (सीएससीडीजे) गठित नहीं की हैं, जैसा कि पीठ ने पहले निर्देश दिया था।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 4 जनवरी को कहा था कि उसने सभी उच्च न्यायालयों में दो न्यायाधीशों की समिति गठित करने की सिफारिश की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) के अनुसार न्यायिक अधिकारियों के लिए वेतन, पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों पर आदेशों का कार्यान्वयन किया जाए।
मंगलवार को न्याय मित्र ने कहा कि यद्यपि कुछ उच्च न्यायालयों ने समिति गठित की थी, लेकिन वे शिकायतों से निपटने के लिए नियमित रूप से बैठक नहीं कर पातीं, जिसके कारण कई न्यायिक अधिकारियों को शीर्ष अदालत का रुख करना पड़ा।
पीठ ने कहा, “इसलिए हम सभी उच्च न्यायालयों से अनुरोध करते हैं कि वे इस न्यायालय द्वारा 4 जनवरी, 2024 के आदेश द्वारा जारी निर्देशों को लागू करें। यदि किसी भी उच्च न्यायालय द्वारा अभी तक सीएससीडीजे की नियुक्ति नहीं की गई है, तो उन्हें आज से चार सप्ताह की अवधि के भीतर नियुक्त किया जाए।”
उसने सीएससीडीजे के नोडल अधिकारियों – जो सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश होंगे- को चार सप्ताह के भीतर नियुक्त करने का भी निर्देश दिया।
पीठ ने संबंधित उच्च न्यायालयों से कहा कि वे अपने परिसर में नोडल अधिकारियों के लिए कार्यालय स्थान उपलब्ध कराएं। पीठ ने सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री से कहा कि वह आदेश की एक प्रति सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल को भेजे।
भाषा प्रशांत नरेश
नरेश
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)