Samvida Employees Niyamitikaran Order Contract Employees Regularization Latest Update

Contract Employees Regularization News: रक्षाबंधन पर भर सकती है संविदा कर्मचारियों की झोली, नियमितीकरण को लेकर आया बड़ा अपडेट, कभी भी जारी हो सकता है आदेश

रक्षाबंधन पर भर सकती है संविदा कर्मचारियों की झोली, Samvida Employees Niyamitikaran Order Contract Employees Regularization Latest Update

Edited By :  
Modified Date: August 14, 2024 / 10:29 AM IST
,
Published Date: August 14, 2024 10:29 am IST

देहरादूनः Samvida Employees Niyamitikaran Order वादों और दांवों के भंवर के बीच फंसे संविदा कर्मचारियों की नियमितीकरण की आस में लंबे समय से बैठे हुए हैं। चुनाव के समय वादे तो खूब होते हैं हैं, लेकिन सरकार बनने के बाद इन लोगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। संविदा कर्मचारी नियमितीकरण सहित अन्य मांगों को लेकर लगातार लड़ाई दिखते हैं। कभी बड़े अधिकारियों और सरकार के जिम्मेदारों के पास आवेदन-निवेदन तो कभी कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते हैं, फिर कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाता है। इसी बीच अब उत्तराखंड के संविदा कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर सामने आई है। हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद अब शासन स्तर पर नियमितीकरण की कवायद तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि रक्षाबंधन के आसपास नियमितीकरण के संबंध में आदेश जारी हो सकता है।

Read More : Partition Horror Memorial Day : विभाजन की भयावहता से प्रभावित लोगों को पीएम मोदी ने किया याद, कहा- ‘आज उनके साहस को भी श्रद्धांजलि देने का दिन है’ 

Samvida Employees Niyamitikaran Order दरअसल, उत्तराखंड में 15 हजार से ज्यादा संविदा, आउटसोर्स, दैनिक वेतन, कार्यप्रभारित, नियत वेतन, अंशकालिक, तदर्थ, उपनल कर्मचारी है। अब इनके मन में एक बार फिर पक्की नौकरी की आस जग गई है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि 2024 की कट ऑफ डेट मानते हुए 10 साल नियमित सेवा वालों को पदों की उपलब्धता के हिसाब से नियमित किया जाएगा। प्रदेश में वर्ष 2013 से पूर्व तक संविदा, आउटसोर्स कर्मचारियों के नियमितीकरण का कोई प्रावधान नहीं था। दैनिक वेतन, कार्यप्रभारित, संविदा, नियत वेतन, अंशकालिक तथा तदर्थ रूप में नियुक्त कार्मिकों का विनियमितीकरण नियमावली 2013 आई थी, जिसमें कर्मचारियों के लगातार 10 साल की सेवा को आधार बनाकर नियमित करने का प्रावधान किया गया था। लेकिन, यह नियमावली विवादों में आ गई और हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। इसके बाद हरीश रावत सरकार में दोबारा कवायद शुरू की गई और 2017 में एक नियमितीकरण नियमावली लाई गई, जिसमें सेवाकाल 10 साल से घटाकर पांच साल कर दिया गया। इस पर भी आपत्तियां हुईं और हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। करीब सात साल से नियमितीकरण संबंधी सभी काम लटके हुए थे।

Read More : Independence Day 2024: स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रपति पदक से सम्मानित होंगे मध्यप्रदेश के 69 पुलिस अधिकारी और कर्मचारी, जानें किन्हें मिलेगा सम्मान 

कर्मचारियों में दौड़ी खुशी की लहर

हाईकोर्ट ने नरेंद्र सिंह बिष्ट और चार अन्य विशेष अनुमति याचिकाओं की सुनवाई के बाद वर्ष 2013 की नियमितीकरण नियमावली पर मुहर लगाई है, जिसके बाद से शासन स्तर पर कवायद शुरू हो गई है। अब कार्मिक और वित्त विभाग नियमितीकरण के सभी पहलुओं को बारीकी से देख रहा है। 15 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की उम्मीदें भी परवान चढ़ने लगी हैं। जिन विभागों में पद रिक्त होंगे, तो उनके सापेक्ष संविदा, उपनल या अन्य माध्यमों से कार्य कर रहे कर्मचारियों को मौका मिल सकता है। रिक्त पदों के सापेक्ष अधिक दावेदार होने पर वरिष्ठता सूची भी बनाई जा सकती है। इन सबके साथ ये भी देखा जाएगा कि कितने पद रिक्त हैं, अर्हता क्या है, आयु कितनी है। शासन के अफसरों का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में मंथन शुरू कर दिया गया है।

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए हमारे फेसबुक फेज को भी फॉलो करें

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें

Follow the IBC24 News channel on WhatsApp

 
Flowers