नयी दिल्ली, 20 दिसंबर (भाषा) सामाजवादी पार्टी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत द्वारा मंदिर-मस्जिद विवाद के फिर से उठने संबंधी टिप्पणी की शुक्रवार को सराहना की और कहा कि उन्हें अपने उन ‘शिष्यों’ के खिलाफ ‘अनुशासनात्मक कार्रवाई’ करनी चाहिए जो उनके निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं।
समाजवादी पार्टी ने भागवत से यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के संबंध में लोगों के खिलाफ दर्ज ‘झूठे मामले’ वापस लिए जाएं और घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए।
भागवत ने एक दिन पहले मंदिर-मस्जिद के कई विवादों के फिर से उठने पर चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोग यह मानने लगे हैं कि वे ऐसे मुद्दों को उठाकर ‘हिंदुओं के नेता’ बन सकते हैं।
अखिलेश यादव ने भागवत की टिप्पणी के बारे में परोक्ष रूप से कहा, ‘‘हमने आज अखबारों में पढ़ा। पांच लोगों की हत्या (संभल हिंसा) के बाद लोगों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए… अब वह कह रहे हैं कि हर मंदिर को नहीं खोदा जाना चाहिए।’’
समाजवादी पार्टी के प्रमुख ने संसद परिसर में पत्रकारों से कहा, ‘‘इसलिए जब इतने महत्वपूर्ण व्यक्ति ने यह बयान दिया है तो यह उनकी और उनकी पार्टी के नेताओं की जिम्मेदारी बनती है कि वे संभल में जिन लोगों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किये गये हैं, वे सभी वापस लिये जायें।’’
यादव ने कहा कि आरएसएस प्रमुख और उनके संगठन के लोगों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उत्तर प्रदेश सरकार हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों की मदद करे तथा उन्हें पर्याप्त मुआवजा दे।
समाजवादी पार्टी के महासचिव राम गोपाल यादव ने कहा कि भागवत ने ऐसा बयान देकर सही काम किया है लेकिन उनके ‘शिष्य’ इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
पुणे में बृहस्पतिवार को सहजीवन व्याख्यानमाला में ‘भारत – विश्वगुरु’ विषय पर व्याख्यान देते हुए भागवत ने समावेशी समाज की वकालत की थी।
भाषा यासिर नरेश
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