Salary of ministers and MLAs increased in Himachal Pradesh || हिमाचल सरकार का बड़ा फैसला

MLAs Salary Increase Order News: ख़त्म हुआ मंत्री-विधायकों का भत्ता.. अब अपनी जेब से भरेंगे फोन, बिजली और पानी का बिल, वेतन में इजाफा

महंगाई के इस दौर में विधायकों को भी वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा उन्हें सामाजिक कार्यों और अन्य नैतिक जिम्मेदारियों के कारण भी कई बार अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है। इसलिए इस वेतन वृद्धि को जरूरी बताते हुए उन्होंने इस कदम का समर्थन किया।

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Modified Date: March 28, 2025 / 07:48 PM IST
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Published Date: March 28, 2025 7:48 pm IST
HIGHLIGHTS
  • हिमाचल में विधायकों का वेतन बढ़कर 3.15 लाख प्रतिमाह हुआ
  • टेलीफोन भत्ता समाप्त, बिजली-पानी के बिल खुद भरने होंगे
  • हर पांच साल में स्वतः होगी विधायकों की वेतन वृद्धि

Salary of ministers and MLAs increased in Himachal Pradesh: शिमला: आर्थिक संकट का सामना कर रहे हिमाचल प्रदेश में सरकार ने विधायकों, मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधानसभा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के वेतन एवं भत्तों में वृद्धि करने का निर्णय लिया है। शुक्रवार को विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन इससे जुड़े तीन विधेयकों को चर्चा उपरांत सर्वसम्मति से पारित किया गया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश लेजिस्लेटिव असेंबली (अलाउंसेज एंड पेंशन ऑफ मेंबर) अमेंडमेंट बिल 2025 सदन में पेश किया, जिसे चर्चा के बाद सभी सदस्यों ने समर्थन दिया और विधेयक को पारित कर दिया गया।

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अब विधायकों को मिलेगा लगभग 3.15 लाख रुपये प्रतिमाह

संशोधित विधेयक के तहत विधायकों के वेतन और भत्ते 2.10 लाख रुपये से बढ़ाकर लगभग 3.15 लाख रुपये कर दिए गए हैं। इसमें उनकी मूल सैलरी (बेसिक सैलरी) 55,000 रुपये से बढ़ाकर 70,000 रुपये कर दी गई है। इसी तरह मुख्यमंत्री का मासिक वेतन-भत्ता 2.65 लाख रुपये से बढ़ाकर लगभग 3.40 लाख रुपये कर दिया गया है। कैबिनेट मंत्रियों और विधानसभा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष को अब प्रतिमाह करीब 3.30 लाख रुपये मिलेंगे, जबकि पहले यह राशि 2.55 लाख रुपये थी। यह वेतन वृद्धि लागू होने से सरकार पर हर साल लगभग 20 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा।

टेलीफोन भत्ता खत्म, बिजली-पानी के बिल भी अब खुद चुकाने होंगे

Salary of ministers and MLAs increased in Himachal Pradesh: हालांकि सरकार ने टेलीफोन भत्ते के रूप में दिए जाने वाले 15,000 रुपये को समाप्त कर दिया है। साथ ही, विधायकों को अब अपने बिजली और पानी के बिल स्वयं भरने होंगे। इससे पहले ये सभी खर्च सरकार द्वारा वहन किए जाते थे। इसके अलावा, पूर्व विधायकों के लिए भी टेलीफोन भत्ता खत्म कर दिया गया है।

हर पांच साल में स्वतः होगी वेतन वृद्धि

संशोधित कानून में एक महत्वपूर्ण बदलाव यह किया गया है कि अब विधायकों का वेतन एवं पेंशन हर पांच साल में स्वतः बढ़ेगा। इसके लिए प्राइस इंडेक्स को आधार बनाया गया है, जिससे अगली वेतन वृद्धि एक अप्रैल 2030 को स्वतः हो जाएगी। इस प्रावधान से भविष्य में विधायकों के वेतन में नियमित अंतराल पर वृद्धि सुनिश्चित हो सकेगी।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में इस बिल पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि विधायकों को अपने विधानसभा क्षेत्र में बतौर जनप्रतिनिधि कई ऐसे खर्च करने पड़ते हैं, जो उनकी आमदनी से अधिक होते हैं। ऐसे में समय-समय पर उनके वेतन में वृद्धि आवश्यक हो जाती है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान विधायकों ने अपनी तनख्वाह से योगदान दिया था, और उस समय उन्होंने स्वयं 11,000 रुपये दिए थे। मुख्यमंत्री ने सदन में कहा की कि अब विधायकों के टेलीफोन बिल और बिजली-पानी के बिलों की प्रतिपूर्ति नहीं की जाएगी। केवल विधायक भत्ता और ऑफिस भत्ता ही दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों में पहली बार विधायकों के वेतन में वृद्धि की जा रही है।

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विपक्ष ने भी किया समर्थन

Salary of ministers and MLAs increased in Himachal Pradesh: विपक्ष के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी इस विधेयक का समर्थन किया। चर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने अपने शुरुआती दिनों को याद किया और कहा कि जब मैं पहली बार विधायक बना था, तो मुझे साढ़े आठ हजार रुपये मासिक वेतन मिलता था। यह 27 साल पहले की बात है। मैंने उस समय एक मोबाइल फोन खरीदा था और पहले ही महीने उसका बिल 12,000 रुपये आया, जबकि मेरी तनख्वाह केवल 8,500 रुपये थी।

उन्होंने यह भी कहा कि महंगाई के इस दौर में विधायकों को भी वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा उन्हें सामाजिक कार्यों और अन्य नैतिक जिम्मेदारियों के कारण भी कई बार अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है। इसलिए इस वेतन वृद्धि को जरूरी बताते हुए उन्होंने इस कदम का समर्थन किया।

हिमाचल प्रदेश में विधायकों का वेतन कितना बढ़ाया गया है?

विधायकों का मासिक वेतन और भत्ता 2.10 लाख रुपये से बढ़ाकर 3.15 लाख रुपये कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री और मंत्रियों के वेतन में कितनी वृद्धि हुई है?

मुख्यमंत्री का वेतन 2.65 लाख से बढ़कर 3.40 लाख रुपये, जबकि कैबिनेट मंत्रियों और विधानसभा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का वेतन 2.55 लाख से बढ़कर 3.30 लाख रुपये कर दिया गया है।

क्या कोई भत्ता समाप्त किया गया है?

हां, टेलीफोन भत्ता (15,000 रुपये) समाप्त कर दिया गया है, और विधायकों को अपने बिजली-पानी के बिल खुद भरने होंगे।

क्या भविष्य में वेतन स्वतः बढ़ेगा?

हां, संशोधित कानून के अनुसार हर 5 साल में प्राइस इंडेक्स के आधार पर स्वतः वेतन वृद्धि होगी।

इस वेतन वृद्धि से सरकार पर कितना वित्तीय बोझ पड़ेगा?

सरकार पर हर साल लगभग 20 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा।