आरएसएस भारत के लोकतंत्र के लिए बड़ी वैचारिक-राजनीतिक चुनौती: भाकपा (माले) लिबरेशन |

आरएसएस भारत के लोकतंत्र के लिए बड़ी वैचारिक-राजनीतिक चुनौती: भाकपा (माले) लिबरेशन

आरएसएस भारत के लोकतंत्र के लिए बड़ी वैचारिक-राजनीतिक चुनौती: भाकपा (माले) लिबरेशन

Edited By :  
Modified Date: January 16, 2025 / 06:29 PM IST
,
Published Date: January 16, 2025 6:29 pm IST

नयी दिल्ली, 16 जनवरी (भाषा) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के ‘सच्ची स्वतंत्रता’ वाले बयान को लेकर उनकी आलोचना करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि यह बयान इस संगठन द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन को लंबे समय से नकारे जाने के क्रम में दिया गया है।

भाकपा (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने यह दावा भी किया कि आरएसएस भारत के लोकतांत्रिक भविष्य के लिए ‘‘सबसे बड़ी वैचारिक-राजनीतिक चुनौती’’ है।

भट्टाचार्य ने कहा कि भागवत ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और संविधान को खारिज करने के आरएसएस के पुराने रुख को दोहराया है।

भागवत ने सोमवार को कहा था कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में मनाई जानी चाहिए क्योंकि अनेक सदियों से दुश्मन का आक्रमण झेलने वाले देश को सच्ची स्वतंत्रता इसी दिन मिली।

भाषा हक हक नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

Flowers