मनमोहन के प्रधानमंत्री काल में बना शिक्षा का अधिकार अधिनियम न पूरी तरह सफल, न असफल: विशेषज्ञ |

मनमोहन के प्रधानमंत्री काल में बना शिक्षा का अधिकार अधिनियम न पूरी तरह सफल, न असफल: विशेषज्ञ

मनमोहन के प्रधानमंत्री काल में बना शिक्षा का अधिकार अधिनियम न पूरी तरह सफल, न असफल: विशेषज्ञ

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Modified Date: December 27, 2024 / 08:15 PM IST
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Published Date: December 27, 2024 8:15 pm IST

नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान पेश किया गया शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 न पूरी तरह सफल रहा है और पूरी तरह असफल।

सिंह की सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम पेश किया था और इसका उद्देश्य छह से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना था, जिससे शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में सुनिश्चित किया जा सके।

केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह शिक्षा का अधिकार अधिनियम में एक बड़े बदलाव के लिए अधिसूचना जारी की थी, जिसके तहत कक्षा पांच और आठ के विद्यार्थियों को फेल नहीं करने की नीति को समाप्त कर दिया गया है।

वकील एवं शिक्षाविद् अशोक अग्रवाल ने कहा, ‘‘आरटीई विफलताओं और सफलताओं का मिश्रण है। गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में आरटीई प्रवेश समाज के वंचित समूह और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने में एक ऐतिहासिक सफलता है और यह बहुत लोकप्रिय हो गया है। ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत हर कोई अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजना चाहता है।’’

अग्रवाल ने कहा, ‘‘आरटीई का उद्देश्य दिव्यांग बच्चों सहित सभी आयु वर्ग के बच्चों को पूर्णकालिक नियमित स्कूलों में लाना था लेकिन यह विफल रहा है। ग्रामीण इलाकों में सरकारी स्कूल धीरे-धीरे बंद हो गए हैं और छात्रों का पंजीकरण कम हो गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्यवश, आरटीई अभी तक अपने संवैधानिक लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाया है कि बिना किसी अपवाद के सभी बच्चे नियमित स्कूल जाएं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करें। यह अब भी आम बच्चों के लिए एक सपना है।’’

यूनेस्को की पूर्व ‘ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग’ (जीईएम) शोधार्थी लीना भट्टाचार्य ने कहा कि उत्तर और मध्य भारत को छोड़कर, आरटीई अधिनियम के परिणामस्वरूप अन्य सभी क्षेत्रों में निम्न आय वर्ग वाले बच्चों की प्राथमिक स्कूल पूर्णता दर में सुधार हुआ है।

शिक्षा का अधिकार प्रकोष्ठ (आरटीई प्रकोष्ठ) और सामाजिक विकास परिषद (सीएसडी), नयी दिल्ली द्वारा जारी ‘‘शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 का कार्यान्वयन : हम कहां खड़े हैं’’ शीर्षक रिपोर्ट के अनुसार सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) पहल के कारण एक दशक में सार्वभौमिक पहुंच और पंजीकरण में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की गई।

कांग्रेस से संबद्ध भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) ने कहा कि सिंह की विरासत शिक्षा का अधिकार अधिनियम के माध्यम से जीवित है।

एनएसयूआई ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘ जैसा कि उन्होंने एक बार कहा था ‘शिक्षा किसी राष्ट्र की क्षमता के विस्तार की कुंजी है’ , आरटीई यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक बच्चे को चाहे उसकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच मिले तथा उन्हें एक उज्ज्वल भविष्य को आकार देने के लिए सशक्त बनाया जाए।’’

भारत में आर्थिक सुधारों के जनक मनमोहन सिंह (92) का बृहस्पतिवार रात अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया।

भाषा शोभना अविनाश

अविनाश

 

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