आरजी कर मामला: अदालत ने कहा, ‘आरोपी ने चिकित्सक का गला दबाने से पहले उसका यौन उत्पीड़न किया’ |

आरजी कर मामला: अदालत ने कहा, ‘आरोपी ने चिकित्सक का गला दबाने से पहले उसका यौन उत्पीड़न किया’

आरजी कर मामला: अदालत ने कहा, ‘आरोपी ने चिकित्सक का गला दबाने से पहले उसका यौन उत्पीड़न किया’

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Modified Date: January 18, 2025 / 10:27 PM IST
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Published Date: January 18, 2025 10:27 pm IST

कोलकाता, 18 जनवरी (भाषा) कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या के एकमात्र आरोपी संजय रॉय को दोषी करार देते हुए सियालदह अदालत ने शनिवार को कहा कि दोषी ने नौ अगस्त, 2024 को तड़के करीब चार बजे अस्पताल के सेमिनार रूम में सो रही स्नातकोत्तर प्रशिक्षु चिकित्सक पर हमला किया था।

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास ने रॉय को दोषी करार देने का फैसला खुली अदालत में सुनाया जबकि इस मामले की सुनवाई बंद कमरे में हुई थी।

न्यायाधीश ने कहा कि रॉय ने चिकित्सक का यौन उत्पीड़न किया और बाद में उसकी गला दबाकर हत्या कर दी।

उन्होंने कहा, ‘‘तुमने चिकित्सक का यौन उत्पीड़न किया। तुमने उसका गला घोंटा और उसका चेहरा ढक दिया तथा इस हमले के कारण आखिरकार उसकी मौत हो गई।’’

न्यायाधीश ने कहा कि 160 से अधिक पृष्ठों का फैसला सोमवार को सजा सुनाए जाने के बाद पूरा हो जाएगा और इसमें शिकायतकर्ता, पीड़िता के पिता द्वारा उठाए गए कुछ सवालों का भी स्पष्ट रूप से जवाब दिया जाएगा।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैंने पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ अस्पताल के अधिकारियों की कुछ गतिविधियों की आलोचना की है, जो साक्ष्य में सामने आई हैं।’’

उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष का मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इन आरोपों के आधार पर तुम्हारे खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत आरोप तय किए गए हैं। गवाहों के बयानों और इस मामले में पेश किए गए दस्तावेजों के आधार पर तुम्हारा अपराध साबित हो गया है और तुम्हें दोषी ठहराया जा रहा है।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘गवाहों के बयानों और इस मामले में पेश किए गए दस्तावेजों के आधार पर तुम्हारा अपराध साबित हो गया है और तुम्हें दोषी ठहराया जा रहा है।’’

दास ने कहा कि उन्होंने कई बिंदुओं पर विचार किया, जिसमें पीड़िता का प्रोफाइल, उसकी ड्यूटी के घंटे और आठ एवं नौ अगस्त 2024 की दरमियानी रात को उसके साथ हुए अपराध से पहले उसे आखिरी बार कब और कहां जीवित देखा गया था।

न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने इस बात पर भी विचार किया कि पीड़िता कब और कहां मृत पाई गई और सबसे पहले किसे जानकारी मिली कि चिकित्सक की मृत्यु हो गई। इतना ही नहीं उन्होंने इस पर भी विचार किया कि मृत्यु का कारण और समय क्या था।

अदालत ने यह भी देखा कि क्या उसके साथ यौन उत्पीड़न का कोई सबूत था, क्या हमलावर एक व्यक्ति था या व्यक्तियों का समूह था और किसने पीड़िता पर क्रूर कृत्य किया था।

न्यायाधीश ने कहा कि विभागाध्यक्ष, अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक और उप प्राचार्य (एमएसवीपी) और आरजी कर मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य संदीप घोष की कुछ गतिविधियों ने उनके मन में ‘कुछ भ्रम’ पैदा किया।

न्यायाधीश ने कहा कि इन्हें फैसले में स्पष्ट किया गया है।

घोष पर मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप था और उन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। साथ ही स्थानीय ताला थाने के प्रभारी अधिकारी पर प्रशिक्षु चिकित्सक के बलात्कार और हत्या के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में कथित देरी का आरोप था।

घोष सीबीआई द्वारा जांच किए जा रहे आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं के एक अन्य मामले में न्यायिक हिरासत पर हैं।

वह बलात्कार-हत्या मामले में जमानत मिलने के बावजूद सलाखों के पीछे हैं।

मामले में पुलिस अधिकारी को जमानत पर रिहा किया गया था।

भाषा सुरेश जितेंद्र

जितेंद्र

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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