नयी दिल्ली, 22 जनवरी (भाषाा) कोविड-19 के भारत के स्वदेशी टीके ‘कोवैक्सीन’ के प्रथम चरण के परीक्षणों में शामिल किये गये लोगों पर इसका कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं पड़ने और इससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया भी बढ़ने का पता चला है। ‘द लांसेट इंफेक्शियस डिजीज जर्नल’ में प्रकाशित प्रथम चरण के नतीजों में यह दावा किया गया है।
यह टीका भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पुणे के सहयोग से विकसित किया है। इस टीके को भारत सरकार ने क्लीनिकल परीक्षण प्रारूप में आपात उपयोग में लाए जाने की मंजूरी दी है।
कोवैक्सीन का अब तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है। इस टीके को भारत के औषधि नियामक द्वारा इस महीने की शुरूआत में आपात उपयोग की मंजूरी दिये जाने को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता प्रकट की थी।
कोवैक्सीन का कूट नाम बीबीवी152 है।
भारत बायोटेक द्वारा वित्तपोषित अध्ययन के लेखकों ने कहा है कि प्रथम चरण के परीक्षण के दौरान इस टीके का कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला।
इसी तरह के नतीजे, इससे पहले दिसंबर में प्रीपिंट सर्वर मेड-आर्काइव में भी प्रकाशित किये गये थे।
हालांकि, लोगों के बीच ऐसा कोई नया आंकड़ा जारी नहीं किया गया है, जो इसके सुरक्षित और कारगर होने के बारे में और अधिक जानकारी दे सकता हो।
अध्ययन के लेखकों ने कहा है कि (टीके के) सभी प्रतिकूल प्रभाव हल्के या मध्यम स्तर के रहे हैं और ये प्रथम खुराक के बाद ही अक्सर देखे गये हैं। एक प्रतिकूल प्रभाव का मामला सामने आया था लेकिन यह टीके से संबद्ध नहीं था।
कोवैक्सीन के सुरक्षित होने और इसकी प्रतिरक्षा क्षमता का आकलन करने के लिए इसका प्रथम चरण का परीक्षण देश के 11 अस्पतालों में किया गया।
परीक्षण में शामिल करने के लिए 18 से 55 साल उम्र के लोगों को उपयुक्त माना गया था।
पिछले साल 13 जुलाई से 30 जुलाई के बीच 827 प्रतिभागियों की जांच की गई, जिनमें से 375 को शामिल किया गया।
अध्ययन के लेखकों ने कहा है, ‘‘परीक्षण के नतीजों में बीबीवी152 के सुरक्षित होने और शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाने का पता चला। साथ ही, कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव नहीं देखने को मिला।
’’
सबसे समान्य प्रतिकूल प्रभाव इंजेक्शन वाले स्थान पर दर्द और इसके बाद सिरदर्द, थकान तथा बुखार के रूप में देखने को मिला।
भाषा
सुभाष उमा
उमा
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