नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा)‘गिग वर्कर्स’ के समक्ष चुनौतियों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा आयोजित सत्र में लक्षित प्रयासों और नियामक ढांचे की आवश्यकता, विश्राम स्थलों की स्थापना तथा विशेष रूप से महिलाओं के लिए शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना जैसे सुझाव सामने आए।
‘गिग वर्कर्स’ उन कर्मियों को कहा जाता है जो काम के बदले भुगतान के आधार पर अस्थायी तौर पर काम करते हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को बताया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने हाल ही में नयी दिल्ली में ‘हाइब्रिड’ माध्यम (भौतिक और डिजिटल रूप से) में ‘गिग वर्कर्स’ के अधिकारों पर एक खुली चर्चा का आयोजन किया।
एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष विजया भारती सयानी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि लंबे समय तक काम करने, वित्तीय तनाव और शारीरिक थकावट सहित ‘गिग वर्कर्स’ की चुनौतियों का समाधान करने के लिए नियामक ढांचे के माध्यम से “लक्षित प्रयासों की आवश्यकता” है।
एक बयान में उन्हें उद्धृत करते हुए कहा गया कि 83 प्रतिशत से अधिक ऐप-आधारित वाहन चालक प्रतिदिन 10 घंटे से अधिक काम करते हैं। इससे उन पर शारीरिक और मानसिक दबाव पड़ता है, क्योंकि ‘10 मिनट में डिलीवरी’ जैसी नीतियां और अवास्तविक लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप “ऐसे हादसे होते हैं जिन्हें टाला जा सकता है”।
एनएचआरसी ने कहा कि महिलाओं को सुरक्षा जोखिम, अनियमित कार्यक्रम और भौतिक जरूरतों जैसी अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी भागीदारी हतोत्साहित होती है और उनके कल्याण के बारे में चिंताएं पैदा होती हैं।
चर्चाओं से निकले कुछ सुझावों में ऐसे श्रमिकों की सहायता के लिए एक मूल्यवान उपकरण के रूप में ई-श्रम पोर्टल को अपनाना और विस्तार करना शामिल था; “मातृत्व लाभ, क्रेच सुविधाएं और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से विश्राम स्थलों की स्थापना” के साथ महिला गिग श्रमिकों का समर्थन करना; और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए गिग श्रमिकों की “वित्तीय साक्षरता” को बढ़ावा देना, इसके अलावा व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से उनके कौशल को बढ़ाने के अवसर प्रदान करना।
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प्रशांत माधव
माधव
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