नयी दिल्ली, दस अक्टूबर (भाषा) अनुसंधानकर्ताओं ने गंभीर जलवायु आपदा की चेतावनी दी है जिससे उबरना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि हर साल जलवायु परिवर्तन पर नजर रखने वाले 35 महत्वपूर्ण संकेतों में से 25 रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं।
एक अंतरराष्ट्रीय टीम की रिपोर्ट में कहा गया है कि अत्यधिक प्रतिकूल मौसमी घटनाएं बार-बार हो रही हैं, और उनकी तीव्रता भी बढ़ गयी है। जीवाश्म ईंधन से उत्सर्जन अब तक के उच्चतम स्तर पर है जो 25 महत्वपूर्ण संकेतों में से एक है। इस अंतरराष्ट्रीय टीम में जर्मनी के पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के शोधकर्ता भी शामिल थे।
रिपोर्ट में जिन अन्य महत्वपूर्ण संकेतों का जिक्र किया गया है, उनमें पृथ्वी की सतह का औसत तापमान, महासागर की गर्मी, वैश्विक समुद्र का स्तर और मानव आबादी शामिल हैं तथा ये सभी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि मानव आबादी प्रतिदिन लगभग दो लाख की दर से बढ़ रही है।
यह रिपोर्ट ‘बायोसाइंस’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुयी है। इसमें कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण 2024 में एशिया में भीषण गर्मी ने स्थिति को और प्रतिकूल बना दिया। भारत में भी अब तक की सबसे लंबी गर्मी पडी।
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक में बर्फ की मात्रा और मोटाई दोनों रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। उन्होंने कहा कि प्रभावशाली ग्रीनहाउस गैसों – मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है तथा 1980 से 2020 के बीच नाइट्रस ऑक्साइड के स्तर में करीब 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
उन्होंने कहा कि 2022 की तुलना में 2023 में कोयला, तेल और गैस की खपत में 1.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि जीवाश्म ईंधन का उपयोग सौर और पवन ऊर्जा के उपभोग से करीब 15 गुना अधिक है।
टीम ने 2023 में 35 महत्वपूर्ण संकेतों में से 20 को चरम स्तर पर पहुचने का जिक्र किया था।
टीम ने कहा, ‘हम अपरिवर्तनीय जलवायु आपदा के कगार पर हैं। यह किसी भी संदेह से परे वैश्विक आपातकाल है। पृथ्वी पर जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा खतरे का सामना कर रहा है।’
भाषा अविनाश मनीषा
मनीषा
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