Child Trafficking : नयी दिल्ली। बाल तस्करी में फंसे हुए 1623 पीड़ितों को 16 राज्यों से बचाया गया। बचपन बचाओ आंदोलन की तरफ से ये दावा किया गया है। दरअसल, बचपन बचाओ आंदोलन के तहत अलग-अलग जगहों पर फंसे बच्चों को वहां से सुरक्षित निकाला जाता है। इसके साथ ही ऐसे बच्चे जो तस्करी या अन्य किसी परेशानी का शिकार हुए हैं, उन्हें बचाया जाता है।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां Click करें*<<
सुनील चेन्नई की एक बेकरी में प्रतिदिन 12 घंटे इतनी कम राशि के लिए काम करता था कि इससे वह अपने खर्चे भी पूरे नहीं कर सकता था। सुनील की आयु मात्र 14 वर्ष थी। ऐसे ही सोलह वर्षीय रेणु ने अपने बचपन का बलिदान देकर दिल्ली के एक पॉश इलाके में घरेलू सहायिका के रूप में काम किया।
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दोनों बच्चों के बीच सैकड़ों किलोमीटर की दूरी थी लेकिन इन दोनों बच्चों में कुछ भी सामान्य नहीं है, सिवाय इसके कि वे इस खबर में अपना असली नाम नहीं दे सकते क्योंकि उन्हें कानूनी रूप से ऐसे कार्यों में शामिल होने की अनुमति नहीं है और वे बाल-तस्करी के पीड़ित हैं।
उन्हें पिछले महीने नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ (बीबीए) ने’ 1,621 अन्य बच्चों के साथ बचाया था। बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पेश होने के बाद रेणु ने अपनी कहानी सुनाई।
उसने कहा कि उसे बचा हुआ खाना दिया जाता था, कई मौकों पर उसकी पिटाई की गई और मजदूरी नहीं दी गई। वह अब छत्तीसगढ़ में अपने माता-पिता के साथ फिर से मिल गई है। उसके नियोक्ता और उसे राष्ट्रीय राजधानी में लाने वाले तस्कर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। बचपन बचाओ आंदोलन के निदेशक मनीष शर्मा ने कहा कि पिछले महीने 16 राज्यों में कुल 216 बचाव अभियान चलाए गए, जिनमें प्रतिदिन 54 बच्चों को बचाया गया।
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विभिन्न अपराधों के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), किशोर न्याय (जेजे) अधिनियम, बाल श्रम अधिनियम और बंधुआ श्रम अधिनियम के तहत पिछले महीने 241 प्राथमिकी दर्ज की गईं और 222 आरोपियों – तस्करों और नियोक्ताओं दोनों को गिरफ्तार किया गया। शर्मा ने कहा कि 16 राज्यों में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, पंजाब, असम, गुजरात, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल शामिल हैं।
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