(तस्वीरों के साथ)
अहमदाबाद, 12 अप्रैल (भाषा) प्रख्यात कथक नृत्यांगना और कोरियोग्राफर कुमुदिनी लाखिया का शनिवार को यहां उनके आवास पर उम्र संबंधी बीमारी के कारण निधन हो गया। वह 95 वर्ष की थीं।
कथक के प्रति लाखिया के आजीवन समर्पण को देखते हुए उन्हें इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
कदम्ब नृत्य एवं संगीत केंद्र की प्रशासक पारुल ठाकोर ने बताया, ‘‘कुमुदिनीबेन का अहमदाबाद में अपने घर में पूर्वाह्न करीब 11 बजे निधन हो गया। वह 95 वर्ष की थीं और पिछले तीन महीने से उम्र से संबंधित कुछ बीमारियों से ग्रस्त थीं।’’
लाखिया ने 1964 में इस केंद्र की स्थापना की थी।
यहां 17 मई, 1930 को जन्मीं लाखिया आगे चलकर प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना और कोरियोग्राफर (नृत्य निर्देशक) बनीं।
उन्होंने ‘उमराव जान (1981)’ समेत कई फिल्मों में कोरियोग्राफर के रूप में भी काम किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि कथक और भारतीय शास्त्रीय नृत्यों के प्रति उनका जुनून वर्षों से उनके उल्लेखनीय कार्यों में परिलक्षित हुआ।
मोदी ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘कुमुदिनी लाखिया जी के निधन से गहरा दुख हुआ, जिन्होंने एक उत्कृष्ट सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में पहचान बनाई। कथक और भारतीय शास्त्रीय नृत्यों के प्रति उनका जुनून वर्षों से उनके उल्लेखनीय कार्यों में परिलक्षित हुआ।’’
उन्होंने कहा, ‘एक सच्ची अग्रणी के तौर पर उन्होंने नृत्यांगनाओं की कई पीढ़ियों को निखारा एवं संवारा भी। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके परिवार, विद्यार्थियों और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं।’’
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी उनके निधन पर दुख व्यक्त किया और उन्हें ‘‘शास्त्रीय कला के क्षेत्र में गुजरात और भारत का गौरव’ बताया।
उन्होंने लिखा, ‘‘उन्होंने कई शिष्यों को शास्त्रीय नृत्य में प्रशिक्षित किया तथा देश और दुनिया में कथक नृत्य की महिमा का प्रदर्शन किया। भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके रिश्तेदारों और अनगिनत शिष्यों और प्रशंसकों को यह दुख सहन करने की शक्ति दें।’’
लाखिया को भारतीय नृत्य की दुनिया में उनके योगदान के लिए पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण, संगीत नाटक अकादमी एवं कालिदास सम्मान तथा गुजरात सरकार से गौरव पुरस्कार जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले।
उन्होंने 1973 में विद्यार्थियों के एक छोटे समूह के साथ कोरियोग्राफी की शुरूआत की। उन्होंने भारत, अमेरिका और यूरोप के विश्वविद्यालयों में ‘नृत्य में रचनात्मकता और प्रदर्शन’ पर व्याख्यान भी दिए। विभिन्न गुरुओं से सीखने के साथ ही उन्होंने भारत सरकार की छात्रवृत्ति पर भारतीय कला केंद्र में शंभू महाराज के अधीन भी प्रशिक्षण प्राप्त किया।
भाषा राजकुमार अविनाश
अविनाश