नयी दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा) प्रसिद्ध वृत्तचित्रकार और कार्यकर्ता तपन के. बोस का यहां उनके आवास पर बृहस्पतिवार को निधन हो गया। वह 78 वर्ष के थे।
बोस 1970 के दशक में लगे आपातकाल के दौरान एक कार्यकर्ता के तौर पर उभरे थे। वह पंजाब और जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ एक निर्भीक वकील थे।
वृत्तचित्र निर्देशक के तौर पर उन्होंने मशूहर वृत्तचित्र ‘‘एन इंडियन स्टोरी ऑन भागलपुर बाइंडिंग्स’’ (1981), ‘‘भोपाल: बियॉन्ड जेनोसाइड’’ (1986), ‘‘झारखंड’’ (1993) और ‘‘द एक्सपेंडेबल पीपल’’ (2016) का निर्देशन किया है।
एक बयान के अनुसार, बोस उन कार्यकर्ताओं, वैज्ञानिकों, पत्रकारों और कलाकारों के एक समूह का हिस्सा थे, जिन्होंने भारतीय संविधान की तर्कवादी भावना को मजबूत करने और ऐतिहासिक तथा समकालीन उत्पीड़न से लड़ने का प्रयास किया था।
इसके अनुसार, ‘‘तपन बोस उन समुदायों के बहुत अच्छे मित्र थे जो कट्टर राष्ट्रवाद और सैन्यीकरण से उत्पीड़ित थे। बलूचिस्तान, बर्मा, कश्मीर, नगा क्षेत्रों और श्रीलंका में तमिल आंदोलन में उनकी मित्रता सर्वविदित है।’’
बयान में कहा गया, ‘‘अपने जीवन के आरंभिक दौर में जब उन्होंने अलोकतांत्रिक ताकतों का मुकाबला करने के लिए एक माध्यम के रूप में वृत्तचित्र फिल्में बनाईं, तब से वे एक कार्यकर्ता और युवा पीढ़ी के मार्गदर्शक बन गए।’’
पाकिस्तान इंडिया पीपुल्स फोरम फॉर पीस एंड डेमोक्रेसी ने कहा, ‘‘बोस को दक्षिण एशिया के बारे में ज्ञान के कारण वह दुनिया भर के कई अकादमिक प्रकाशकों और कई युवा फिल्म निर्माताओं के बीच एक मान्यता प्राप्त लेखक थे।’’
बोस का अंतिम संस्कार शुक्रवार को लोदी रोड श्मशान घाट पर किया जाएगा।
उनके परिवार में पत्नी रीता मनचंदा और बेटी देवज्ञानी सैनी है।
भाषा प्रीति रंजन
रंजन
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)