(जीवन प्रकाश शर्मा)
नयी दिल्ली, 11 सितंबर (भाषा)रेलवे बोर्ड ने अपने सभी जोन को निर्देश दिये हैं कि वे पटरियों के आसपास से इस्तेमाल में नहीं आ रही सभी इंजीनियरिंग सामग्री, रेल सामग्री और अन्य उपकरणों को तुरंत हटा दें, ताकि शरारती तत्व इनका दुरुपयोग नहीं कर सकें और रेल परिचालन की सुरक्षा को खतरा न पहुंचा पाएं।
रेलवे पटरियों पर गैस सिलेंडर, सीमेंट ब्लॉक आदि जैसी विभिन्न प्रकार के अवरोधक रखकर सुरक्षित रेल परिचालन को बाधित करने के मकसद उपद्रवियों द्वारा कथित प्रयास किए जाने की कुछ घटनाओं के बाद, बोर्ड ने सभी जोनों को नौ सितंबर से एक सप्ताह लंबा सुरक्षा अभियान शुरू करने को कहा है।
बोर्ड ने कहा कि इस अभियान का एक महत्वपूर्ण तत्व यह सुनिश्चित करना है कि रेलवे पटरियों के आसपास से सभी अनुपयोगी इंजीनियरिंग सामग्री को हटा दिया जाए।
रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘अक्सर, पटरी बदलने और मरम्मत के बाद इंजीनियरिंग विभाग इंजीनियरिंग से जुड़े हिस्से, पटरी के टुकड़े, कंक्रीट स्लीपर और अन्य सामान को पटरियों के पास ही छोड़ देता है। हाल ही में, हमें एहसास हुआ है कि ये सामान उपद्रवियों के लिए पटरियों पर रखने के काम आ सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी संभावनाओं को खत्म करने के लिए हमने सभी क्षेत्रों के इंजीनियरिंग विभागों से इन सामग्रियों के निपटान में सावधानी बरतने को कहा है।’’
रेलवे अधिकारियों ने कहा कि 17 अगस्त को कानपुर के पास अहमदाबाद जाने वाली साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतरने की प्रारंभिक संयुक्त जांच से पता चला है कि लगभग एक मीटर लंबा पटरी का टुकड़ा किसी ने सुरक्षित रेल परिचालन को नुकसान पहुंचाने के इरादे से पटरियों पर रख दिया था।
अधिकारी ने बताया, ‘‘उस मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है पटरी का टुकड़ा किसने और कहां से खरीदा। हालांकि, हमारी तरफ से हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि ऐसी कोई भी वस्तु पटरियों के पास न छोड़ी जाए जिससे असामाजिक तत्वों को हमारे खिलाफ इसका फायदा उठाने का मौका मिले।’’
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि पटरी को सहारा देने के लिए उपयोग किए जाने वाले कंक्रीट स्लीपर को भी यदि पटरियों के पास छोड़ दिया जाए तो ये खतरा पैदा कर सकते हैं।
पश्चिमी रेलवे के अखिल भारतीय रेलवे ट्रैकमेन्टेनर्स यूनियन के महासचिव सतीश यादव ने कहा, ‘‘एक कंक्रीट स्लीपर का वजन 280 किलोग्राम से 320 किलोग्राम के बीच होता है और इसे उठाने और एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए कम से कम चार लोगों की जरूरत होती है। इन छोड़े गए स्लीपर को आम तौर पर बदलने के बाद पटरियों के आसपास छोड़ दिया जाता है क्योंकि इनकी कोई कीमत नहीं होती।’’
उन्होंने कहा कि कुछ ठेकेदार इन स्लीपर से लोहा निकालने के लिए इन्हें खरीदते हैं या लोग इनका उपयोग अपने खेतों के चारों ओर अवरोध या सीमा बनाने के लिए करते हैं।
यादव ने बोर्ड के निर्णय का स्वागत किया और कहा कि पटरी की देखरेख एवं मरम्मत करने वाले इस निर्देश का पूर्ण पालन करेंगे।
भाषा धीरज माधव
माधव
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