नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमित मामलों में हर दिन नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। इस बीच घर में रहकर भी लोग कोरोना को मात दे रहे हैं। देश में जिस रफ्तार से कोरोना के केस बढ़े उसी रफ्तार मरीज ठीक भी हो रहे हैं। दरअसल ठीक होने वालों में सबसे ज्यादा लोग होम आइसोलेशन वाले हैं।
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कहने का मतलब यह है कि देश में होम आइसोलेशन ज्यादा सफल साबित हुआ है। इस बीच एक नई स्टडी में अस्पताल में भर्ती ना होने वाले इन मरीजों के लिए राहत की खबर आई है। मेडिकल जर्नल द लैंसेट की स्टडी में दावा किया गया है कि Covid-19 के जो मरीज अस्पताल में भर्ती नहीं होते हैं, उनमें इस वायरस का लॉन्ग टर्म गंभीर इफेक्ट कम होता है।
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स्टडी में कहा गया है कि अस्पताल में भर्ती ना होने वाले कोरोना के मरीजों में गंभीर दीर्घकालिक प्रभाव का खतरा कम होता है, हालांकि इन्हें बार-बार किसी ना किसी इंफेक्शन को लेकर डॉक्टर के पास जाने की जरूरत पड़ती है। स्टडी में कहा गया है, ‘SARS-CoV-2 से संक्रमित होने के बाद जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने की कम जरूरत पड़ती है, उनमें कोरोना से ठीक होने के बाद होने वाले गंभीर खतरे की संभावना बहुत कम होती है।
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आपको बता दें कि देश में कोरोना से रिकवर हुए मरीजों में कई तरह की परेशानियां भी देखी गई है। इन मरीजों में कई तरह की मानसिक बीमारी, दिल से जुड़ी बीमारी, डायबिटीज की शिकायत और कमजोरी जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं। स्टडीज में दावा किया है कि कोरोना के मरीजों पर इस बीमारी का असर लंबे समय तक रहता है।
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