नई दिल्ली। लोगों को भारी ईएमआई के बोझ से राहत मिल सकती है। आरबीआई ने सभी बैंकों एक अक्टूबर से आवास, वाहन और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों को फ्लोटिंग दर पर दिये जाने वाले सभी नये कर्जों यानि लोन को रेपो दर जैसे बाहरी मानकों से जोड़ने का निर्देश दिया है।
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इससे नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का लाभ कर्ज लेने वाले उपभोक्ताओं तक अपेक्षाकृत तेजी से पहुंचने की उम्मीद है, जिसका मतलब है कि इसके बाद सभी तरह के लोन सस्ते होने निश्चित हैं। उद्योग और खुदरा कर्ज लेने वाले लगातार यह शिकायत करते रहे हैं कि रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में कटौती के बावजूद उसका पूरा लाभ बैंक उपभोक्ताओं को नहीं दे रहे हैं।
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इसी के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने बुधवार को सर्कुलर जारी कर बैंकों के लिए सभी नए फ्लोटिंग दर वाले व्यक्तिगत या खुदरा ऋण और MSME को फ्लोटिंग दर वाले कर्ज को एक अक्टूबर, 2019 से बाहरी मानक से जोड़ने को अनिवार्य कर दिया है। इस साल रिजर्व बैंक रेपो दर में 1.10% की कटौती कर चुका है। लेकिन बैंकों द्वारा इसमें से सिर्फ 0.40% का ही लाभ उपभोक्ताओं को दिया गया है।
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