शिमला, एक अक्टूबर (भाषा) हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में जिला अधिकारियों ने मंगलवार को असंगठित क्षेत्र के प्रवासी श्रमिकों का पंजीकरण और सत्यापन अनिवार्य कर दिया।
यह कदम हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में प्रवासियों के आने के मुद्दे पर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद उठाया गया है।
शिमला के उपायुक्त अनुपम कश्यप ने यहां एक बयान में कहा कि कोई भी नियोक्ता पुलिस सत्यापन और पंजीकरण के बिना किसी भी प्रवासी श्रमिक को असंगठित क्षेत्र की नौकरियों में नियुक्त करता है, तो ऐसे प्रवासी श्रमिकों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस)-2023 की धारा 223 के तहत दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
यह प्रावधान मजिस्ट्रेट के समक्ष निजी शिकायत दर्ज कराने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया से संबंधित है।
आदेश में कहा गया है कि शिमला आने वाले प्रवासी श्रमिक तब तक कोई अनौपचारिक नौकरी, सेवा या अन्य रोजगार नहीं करेंगे, जब तक कि वे संबंधित थाना प्रभारी (एसएचओ) को पासपोर्ट आकार की तस्वीर के साथ अपना पिछला विवरण प्रस्तुत नहीं कर देते।
यह आदेश अगले दो महीनों तक लागू रहेगा। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब कई हिंदू समूह और व्यापारी संगठन राज्य में आने वाले प्रवासियों की पहचान और सत्यापन की मांग कर रहे हैं।
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने रेहड़ी-पटरी वालों पर नीति बनाने के लिए एक समिति गठित की थी।
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