नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने 2021 में अपनी 17 वर्षीय बेटी के साथ दुष्कर्म करने और उसे गर्भवती करने के दोषी व्यक्ति को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए कहा कि वह “समाज के लिए एक वास्तविक खतरा” है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित सहरावत ने उस व्यक्ति की सजा पर दलीलें सुनने के बाद यह फैसला दिया, जिसे यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा-छह (गंभीर यौन उत्पीड़न) और बलात्कार के दंडात्मक प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया गया था।
न्यायमूर्ति सहरावत ने 21 मार्च को पारित आदेश में कहा, “दोषी का अपराध सबसे जघन्य अपराधों में से एक है। समाज के लिए यह बिल्कुल अस्वीकार्य है कि एक पिता ने अपनी सगी बेटी के साथ बलात्कार किया और उसे लगभग छह महीने तक गर्भ धारण भी किए रहने दिया।”
उन्होंने कहा कि दोषी के कृत्य ने समाज की अंतरात्मा को झकझोर दिया है और अगर वह अपनी बेटी के साथ इतना जघन्य अपराध कर सकता है, तो वह अन्य बच्चों के साथ भी ऐसा कर सकता है।
न्यायमूर्ति सहरावत ने कहा, “इस तरह दोषी समाज के लिए एक वास्तविक खतरा है। यह अपराध एक जघन्य कृत्य है और दोषी किसी भी तरह की नरमी का हकदार नहीं है। समाज की रक्षा करना और दोषी को यथासंभव लंबे समय तक समाज से दूर रखना इस अदालत का कर्तव्य है। दोषी के साथ सख्ती से पेश आया जाना चाहिए।”
हालांकि, अदालत ने कहा कि यह अपराध दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में नहीं आता।
अदालत ने दोषी को उसके शेष प्राकृतिक जीवन तक कारावास की सजा सुनाई।
भाषा पारुल सुरेश
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