Ravi Kishan introduced a private bill to give Bhojpuri an official status

रवि किशन ने सदन में उठाई ये बड़ी मांग, यूपी समेत बिहार को भी मिलेगा फायदा, जनता करेगी बीजेपी की वाहवाही

Ravi Kishan raised the issue of Bhojpuri language : रवि किशन ने शुक्रवार को संविधान (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया।

Edited By :  
Modified Date: July 28, 2024 / 07:32 PM IST
,
Published Date: July 28, 2024 7:32 pm IST

नई दिल्ली। Ravi Kishan raised the issue of Bhojpuri language : भोजपुरी सुपरस्टार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद रवि किशन ने भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए लोकसभा में एक निजी सदस्य विधेयक पेश किया है ताकि इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया जा सके। रवि किशन ने शुक्रवार को संविधान (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया और कहा कि वह इस बात को रेखांकित करना चाहते हैं कि भोजपुरी भाषा बकवास गीतों के बारे में नहीं है, बल्कि इसका एक समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास और साहित्य है जिसे बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

read more : IND vs SL Women Asia Cup 2024 Final : श्रीलंका ने रचा इतिहास..! पहली बार जीता एशिया कप का खिताब, टीम इंडिया को दी 8 विकेट से मात 

यह विधेयक भोजपुरी साहित्य को बढ़ावा देने के बारे में

Ravi Kishan raised the issue of Bhojpuri language : उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से भाजपा सांसद ने कहा, ‘‘इतने सारे लोग इस भाषा को बोलते और समझते हैं। यह हमारी मातृभाषा है। मैं इस भाषा को बढ़ावा देना चाहता हूं क्योंकि इस भाषा में फिल्म उद्योग भी चलाया जा रहा है और लाखों रोजगार मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह विधेयक भोजपुरी साहित्य को बढ़ावा देने के बारे में है जो बहुत समृद्ध है। उन्होंने कहा, ‘‘लोग इस भाषा को गंभीरता से लेंगे। यह भाषा बकवास गीतों के बारे में नहीं है। यह भाषा इतनी समृद्ध है, इसमें साहित्य भी है।’’

अभिनेता से नेता बने किशन ने कहा कि भोजपुरी साहित्य को लोकप्रिय बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने समुदाय को वापस देना चाहता हूं। मैं भोजपुरी भाषा-भाषी समुदाय को कुछ देना चाहता हूं। यह भाषा मेरी पहचान है।’’ विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि भोजपुरी भाषा भारत के गंगा के मैदानी इलाकों में उत्पन्न हुई है, यह एक बहुत पुरानी और समृद्ध भाषा है, जिसकी उत्पत्ति संस्कृत भाषा में हुई है।

इन राज्यों में बोली जाती है भोजपुरी

भोजपुरी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों के साथ-साथ कई अन्य देशों में रहने वाले लोगों की बड़ी आबादी की मातृभाषा है। विधेयक में कहा गया है कि मॉरीशस में बड़ी संख्या में लोग यह भाषा बोलते हैं और अनुमान है कि करीब 14 करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं। विधेयक में कहा गया है कि भोजपुरी फिल्में देश और विदेश में बहुत लोकप्रिय हैं और हिंदी फिल्म उद्योग पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। रवि किशन ने विधेयक में कहा, ‘‘भोजपुरी भाषा में समृद्ध साहित्य और सांस्कृतिक विरासत है। महान विद्वान महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने भोजपुरी में भी कुछ रचनाएं लिखीं हैं।’’

भोजपुरी का शेक्सपियर

विधेयक में कहा गया है कि भोजपुरी के कुछ अन्य प्रतिष्ठित लेखक भी रहे हैं जैसे विवेकी राय और भिखारी ठाकुर, जिन्हें ‘भोजपुरी का शेक्सपियर’ कहा जाता है। इसके मुताबिक भारतेंदु हरिश्चंद्र, महावीर प्रसाद द्विवेदी और मुंशी प्रेमचंद जैसे हिंदी के कुछ अन्य प्रतिष्ठित लेखक भोजपुरी साहित्य से बहुत प्रभावित थे।

 

इसमें कहा गया है कि भोजपुरी भाषा और उसका साहित्य विभिन्न विद्वानों के प्रयासों के कारण नई ऊंचाइयां प्राप्त कर रहा है। विधेयक में कहा गया है कि भोजपुरी पृष्ठभूमि की कई हस्तियों ने देश में सर्वोच्च स्थान हासिल किए हैं और भोजपुरी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन किया गया है। इसमें कहा गया है कि वर्तमान में, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय भोजपुरी भाषा में एक सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने की योजना बना रहा है। विधेयक में यह भी कहा गया है कि हाल ही में, भोजपुरी भाषा के प्रचार और विकास के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में भोजपुरी अध्ययन केंद्र स्थापित किया गया है।

 

इसमें आगे कहा गया है कि उत्तर प्रदेश और बिहार में भोजपुरी भाषा को उसका उचित स्थान दिलाने के लिए आंदोलन शुरू किए गए हैं, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भोजपुरी भाषा को अभी तक संविधान की आठवीं अनुसूची में जगह नहीं मिली है। विधेयक में कहा गया है कि साक्षरता को बढ़ावा देने और इस भाषा के विकास के लिए, यह आवश्यक है कि इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।

आठवीं अनुसूची में भोजपुरी को शामिल करने की मांग

साथ ही यह भी कहा गया कि आठवीं अनुसूची में भोजपुरी को शामिल करने की मांग इस भाषा को बोलने वाले लोगों की पुरानी मांग रही है। आठवीं अनुसूची में देश की आधिकारिक भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है। मूल रूप से, अनुसूची में 14 भाषाएं थीं, अब 22 हैं। संसद के ऐसे सदस्य जो केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य नहीं हैं, को एक निजी सदस्य के रूप में जाना जाता है। निजी विधेयक का प्रारूप तैयार करने की ज़िम्मेदारी संबंधित सदस्य की होती है। सदन में इसे पेश करने के लिये एक महीने के नोटिस की आवश्यकता होती है।

सरकारी विधेयक/सार्वजनिक विधेयकों को किसी भी दिन पेश किया जा सकता है और उन पर चर्चा की जा सकती है, निजी सदस्यों के विधेयकों को केवल शुक्रवार को पेश किया जा सकता है और उन पर चर्चा की जा सकती है। कई विधेयकों के मामले में एक मतपत्र प्रणाली का उपयोग विधेयकों को पेश करने के क्रम को तय करने के लिये किया जाता है। निजी सदस्यों के विधेयकों और प्रस्तावों पर संसदीय समिति ऐसे सभी विधेयकों को देखती है और उनकी तात्कालिकता एवं महत्त्व के आधार पर उनका वर्गीकरण करती है।

 

सदन द्वारा इसकी अस्वीकृति का सरकार में संसदीय विश्वास या उसके इस्तीफे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। चर्चा के समापन पर विधेयक का संचालन करने वाला सदस्य या तो संबंधित मंत्री के अनुरोध पर इसे वापस ले सकता है या वह इसके पारित होने के साथ आगे बढ़ने का विकल्प चुन सकता है। पिछली बार दोनों सदनों द्वारा एक निजी सदस्य विधेयक 1970 में पारित किया गया था। यह ‘सर्वोच्च न्यायालय (आपराधिक अपीलीय क्षेत्राधिकार का विस्तार) विधेयक, 1968’ था। अब तक 14 निजी सदस्य विधेयक ही कानून बन सके हैं। इनमें से पांच राज्यसभा में पेश किये गए थे।

 

देश दुनिया की बड़ी खबरों के लिए यहां करें क्लिक

Follow the IBC24 News channel on WhatsApp

खबरों के तुरंत अपडेट के लिए IBC24 के Facebook पेज को करें फॉलो