rathyatra begains from today, know 5 special things of it

मंदिर से निकलकर भक्तों को दर्शन देंगे भगवान, जानिए पुरी की रथयात्रा से जुड़ी 5 खास बातें

rathyatra begains from today, know 5 special things of it : मंदिर से निकलकर भक्तों को दर्शन देंगे भगवान, जानिए पुरी की रथयात्रा से जुड़ी 5 खास.

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:46 PM IST, Published Date : July 1, 2022/8:14 am IST

Rath Yatra 2022 : पुरी। हर साल की तरह इस साल भी पुरी में आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को पुरी उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ की विश्वभर में प्रसिद्ध रथयात्रा शुरु हो रही है। इस रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा का रथ भी निकलेगा, इस रथयात्रा में तीनों भाई बहन की रथ अलग-अलग निकलती है ।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp  ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<

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जानें रथ और रथयात्रा से जुड़ी ये 5 खास बातें –

1 ) आपको यह जानकर काफी हैरानी होगी कि भगवान जगन्नाथ के रथ को बनाने में एक भी कील का इस्तेमाल नहीं होता और साथ ही किसी भी धातु का उपयोग रथ में नहीं किया जाता। जिस लकड़ी से रथ बननी होती है उसका चयन भी बसंत पंचमी के दिन किया जाता है और रथ बनाने की शुरुवात अक्षय तृतीया के दिन से होती है।

2) पुरी के रथयात्रा में 16 पहिये लगाए जाते हैं , भगवान जगन्नाथ का जो रथ होता है उसका रंग लाल और पीला होता है, और ये बाकि दो रथों की तुलना में थोड़ा बड़ा भी होता है, भगवान जगन्नाथ का ये रथ सबसे पीछे चलता है सबसे पहले बलभद्र और फिर बीच में सुभद्रा और का रथ चलता है।

3) प्रभु जगन्नाथ के रथ का नाम नंदीघोष ,बलभद्र के रथ का नाम ताल ध्वज और सुभद्रा के रथ को दर्पदलन कहते हैं।

4) ज्येष्ठ माह के पूर्णीमा के दिन जिस कुंए के जल से स्नान कराया जाता है वह साल भर में केवल एक ही बार खुलता है ,और भगवान जगन्नाथ को हमेशा स्नान के समय सभी 108 घड़ो के पानी से नहलाया जाता है।

5) प्रभु श्री जगन्नाथ अपनी मौसी के घर पर सात दिनों तक रहते हैं और फिर आठवें दिन आषाढ़ शुक्ल दशमी पर सभी रथों की वापसी होती है जिसे बहुड़ा यात्रा के नाम से जाना जाता है ।

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सोने के झाड़ू से साफ होता है रास्ता

रथों के तैयार होने के बाद उनकी पूजा-अर्चना होती जो कि वहां के राजा गजपति के द्वारा की जाती है ,इस पूजा अनुष्ठान को ‘छर पहनरा’ के नाम से भी जाना जाता है। इन सभी रथों की विधिवत पूजा के बाद वे ‘सोने की झाड़ू’ से रथ मण्डप और यात्रा वाले रास्ते को झाड़ू लगाकर साफ करते हैं ।

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