पिछड़े क्षेत्र को वैश्विक पहचान दिलाने वाले रतन टाटा के निधन से जमशेदपुर में शोक की लहर |

पिछड़े क्षेत्र को वैश्विक पहचान दिलाने वाले रतन टाटा के निधन से जमशेदपुर में शोक की लहर

पिछड़े क्षेत्र को वैश्विक पहचान दिलाने वाले रतन टाटा के निधन से जमशेदपुर में शोक की लहर

:   Modified Date:  October 10, 2024 / 03:46 PM IST, Published Date : October 10, 2024/3:46 pm IST

(नमिता तिवारी)

रांची, 10 अक्टूबर (भाषा) उद्योगपति रतन टाटा के निधन के बाद ‘टाटानगर’ के नाम से मशहूर जमशेदपुर गम में है। वहीं झारखंड में भी उनके सम्मान में बृहस्पतिवार को एक दिन का शोक घोषित किया गया है।

टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी नुसरवानजी टाटा के नाम पर बने इस शहर के विकास में रतन टाटा की कालातीत दृष्टि के कारण तेजी आई और इसे वैश्विक मानचित्र पर जगह मिली। पिछड़े क्षेत्र झारखंड के विकास में उनके योगदान को अहम माना जाता है जो वर्ष 2000 में राज्य बना।

उन्होंने पहली बार 1963 में जमशेदपुर का दौरा किया था, ताकि यह देख सकें कि टाटा स्टील कैसे काम करती है जो अब एक वैश्विक समूह है। इसके बाद उन्होंने 1965 में अपने पायलट कौशल को निखारने के लिए शहर का दौरा किया।

जैसे ही उनके निधन की खबर फैली, शहर में शोक की लहर छा गई। सुबह से ही अलग-अलग वर्गों के लोग इस महान हस्ती को श्रद्धांजलि देने के लिए टाटा सेंटर पहुंच रहे हैं।

रतन टाटा का मुंबई के एक अस्पताल में बुधवार रात 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।

साल 1993 में टाटा स्टील के अध्यक्ष बने रतन टाटा नियमित रूप से शहर आया करते थे।

जब तक वह सक्रिय रहे, वह जमशेदजी नुसरवानजी टाटा की जयंती पर तीन मार्च को आयोजित संस्थापक दिवस समारोह में भाग लेने से कभी नहीं चूके। वह ब्लास्ट फर्नेस के उद्घाटन और सामाजिक समारोहों सहित कंपनी के विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए भी यहां आए।

जमशेदपुर की उनकी दूसरी आखिरी यात्रा 2019 में हुई थी जब मेहरबाई टाटा मेमोरियल अस्पताल (एमटीएमएच) को अपग्रेड किया गया था।

उन्होंने कहा था, “ आज हमने जिसका उद्घाटन किया है, उस पर मुझे बहुत गर्व है। यह टाटा ट्रस्ट के कैंसर अस्पतालों के ग्रिड में योगदान देने के सपने को पूरा करता है ताकि लोगों की जान बचाई जा सके। यह नई सुविधा एक अद्भुत नया विस्तार है और हम मानवता के लिए इसके योगदान की आशा करते हैं।”

शहर स्थित सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने 2012 में दिए गए उनके संबोधन को याद किया।

उन्होंने कहा था कि परंपरागत रूप से रूढ़िवादी कारोबारी समूह रहे टाटा समूह में 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद बदलाव आया है और इसने वैश्विक ब्रैंड का अधिग्रहण किया है और अपने प्रतिस्पर्धियों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।

झारखंड की उनकी अंतिम यात्रा मार्च 2021 में 182वें स्थापना दिवस समारोह के दौरान हुई थी।

इस यात्रा के दौरान उन्होंने नवल टाटा हॉकी अकादमी की इमारत का उद्घाटन किया था।

टाटा स्टील ने ही जमशेदपुर में देश का पहला औद्योगिक शहर विकसित किया, जो अविभाजित बिहार का एक हिस्सा था।

शुरुआत में ब्रिटिश इस उद्यम की सफलता के बारे में सशंकित थे, लेकिन यह संयंत्र प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मित्र देशों की सेनाओं को इस्पात और बख्तरबंद वाहनों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन गया।

अंग्रेजों ने दिवंगत जमशेदजी के सम्मान में साकची का नाम बदलकर जमशेदपुर रखकर टाटा परिवार को पुरस्कृत किया।

रतन टाटा के लिए ‘भारत रत्न’ की मांग करते हुए टाटा समूह श्रमिक संघ के अध्यक्ष राकेश्वर पांडे ने कहा,“जेआरडी टाटा के बाद रतन टाटा ने ही जमशेदपुर और टाटा श्रमिकों के लिए दिलो-ओ-जान से काम किया।”

भाषा नोमान नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)