नयी दिल्ली, 25 जनवरी (भाषा) एजेंसियों को तहव्वुर हुसैन राणा के भारत प्रत्यर्पण से मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों की आगे की जांच करने और इस नरसंहार में पाकिस्तान के सरकारी तत्वों की भूमिका का पता लगाने में मदद मिल सकती है।
मुंबई में 26 नवंबर 2008 को विभिन्न हिस्सों में हुए आतंकी हमलों में 166 लोग मारे गए थे। मृतकों में अमेरिका, ब्रिटेन और इजराइल के नागरिक भी शामिल थे। इन हमलों को 26/11 हमलों के नाम से भी जाना जाता है।
अमेरिका के उच्चतम न्यायालय ने भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ आतंकी राणा की पुनर्विचार याचिका के रूप में उसकी आखिरी कानूनी चुनौती को खारिज कर दिया है।
पाकिस्तानी मूल के 64 वर्षीय कनाडाई नागरिक राणा ने निचली अदालत के फैसले की समीक्षा के लिए 13 नवंबर को अमेरिकी उच्चतम न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की थी, जिसे अस्वीकार कर दिया गया।
हमलों की जांच का हिस्सा रहे एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हम राणा के शीघ्र प्रत्यर्पण की आशा कर रहे हैं, जो 26/11 के कुछ नए पहलुओं, यदि कोई हो, पर प्रकाश डाल सकता है।’’
वर्तमान में लॉस एंजिलिस में जेल में बंद राणा पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली से जुड़ा हुआ माना जाता है, जो 26/11 मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है।
हेडली ने शिकागो और अन्य जगहों पर ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज’ के मालिक राणा से मुंबई में ‘फर्स्ट वर्ल्ड कार्यालय’ खोलने के लिए सहमति प्राप्त की, ताकि इसकी आड़ में अपनी गतिविधियों को अंजाम दे सके।
इस संबंध में एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘राणा के प्रत्यर्पण से हमले को अंजाम देने में पाकिस्तान के सरकारी तत्वों की भूमिका को साबित करने में मदद मिलेगी।’’
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और सेना ने 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में 10 आतंकवादियों को भेजकर भारत में सबसे भयानक आतंकवादी हमले की साजिश रची थी और इसे अंजाम दिया था।
आतंकवादियों ने मुंबई में कई प्रतिष्ठित स्थानों को निशाना बनाया, जिनमें ताज महल और ओबेरॉय होटल, लियोपोल्ड कैफे, चाबड़ हाउस और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन शामिल थे। इन जगहों की हेडली ने टोह ली थी।
भाषा नेत्रपाल दिलीप
दिलीप
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)