नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) इतिहासकार राणा सफवी को यमीन हजारिका की स्मृति में स्थापित पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वह पूर्वोत्तर से केंद्रीय पुलिस सेवा में आने वाली पहली महिला थीं।
संस्कृति, इतिहास और भारत के स्मारकों पर कई किताबें प्रकाशित कर चुकीं सफवी को “भारतीय संस्कृति में उनके समन्वयात्मक योगदान” के लिये चुना गया।
असम से आने वाली हजारिका का चयन 1977 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, लक्षद्वीप, दमन और दीव और दादरा नगर हवेली पुलिस सेवा (दानिप्स) में हुआ था। वह चाणक्यपुरी (दिल्ली) की सहायक पुलिस आयुक्त रहीं और बाद में राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस उपायुक्त (महिलाओं के खिलाफ अपराध) का पद भी संभाला।
दिल्ली में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान वह तीन प्रमुख थानों की प्रभारी थीं। उसके बाद वह संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक मिशन पर बोस्निया चली गई थीं। 1999 में 43 वर्ष की उम्र में कैंसर से उनका निधन हो गया था।
सम्मान समारोह डिजिटल रूप से हुआ जिसमें हजारिका की बेटी हुमा ने दिल्ली में सफवी को रजत स्मृति चिन्ह दिया। इस मौके पर असम के पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत विशिष्ट अतिथि थे।
यह पुरस्कार 2015 से हर वर्ष महिला पेशेवरों को उनके योगदान के लिये दिया जाता है।