रमेश ने ‘सोनिया पर आक्षेप’ को लेकर शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया |

रमेश ने ‘सोनिया पर आक्षेप’ को लेकर शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया

रमेश ने ‘सोनिया पर आक्षेप’ को लेकर शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया

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Modified Date: March 26, 2025 / 04:14 PM IST
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Published Date: March 26, 2025 4:14 pm IST

नयी दिल्ली, 26 मार्च (भाषा) उच्च सदन में एक विधेयक पर जवाब के दौरान गृह मंत्री अमित शाह के कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी पर कथित रूप से आरोप लगाने को लेकर राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने बुधवार को शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया।

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सौंपे नोटिस में रमेश ने कहा कि 25 मार्च को शाह ने आपदा प्रबंधन विधेयक, 2024 पर चर्चा का जवाब देते हुए अन्य बातों के अलावा प्रधानमंत्री राहत कोष के संदर्भ में जो दावा किया था वो अपमानजनक है।

कांग्रेस महासचिव रमेश ने शाह के खिलाफ दिए विशेषाधिकार हनन के नोटिस में कहा, ‘‘मैं राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी जी पर आक्षेप लगाने के लिए गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ राज्य सभा में प्रक्रिया और संचालन के नियमों के नियम 188 के तहत विशेषाधिकार के हनन का नोटिस देता हूं।’’

उनके मुताबिक, शाह ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा था, ‘‘कांग्रेस शासन के दौरान प्रधानमंत्री राहत कोष पर केवल एक ही परिवार का नियंत्रण था और इसके अंदर कांग्रेस अध्यक्ष सदस्य होते थे। सरकारी कोष में कांग्रेस अध्यक्ष? क्या जवाब दोगे देश की जनता को आप?’’

रमेश ने कहा कि जैसा कि शाह के बयान को पढ़ने से पता चलता है, भले ही गृह मंत्री ने सोनिया गांधी का नाम नहीं लिया, ‘‘लेकिन उन्होंने स्पष्ट रूप से उनका उल्लेख किया था और राष्ट्रीय प्रधानमंत्री राहत कोष (एनपीएमआरएफ) के कामकाज के संबंध में आरोप लगाया।

उनका कहना है कि यह अच्छी तरह से स्थापित है कि सदन के किसी भी सदस्य के बारे में विचार करना या अपमानजनक संदर्भ देना सदन के विशेषाधिकार का उल्लंघन और अवमानना ​​है।

राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक ने कहा, ‘‘वर्तमान मामले में गृह मंत्री ने सोनिया गांधी की प्रतिष्ठा को खराब करने के लिए पूर्व नियोजित उद्देश्य से उनके खिलाफ निराधार आरोप लगाए थे। गृह मंत्री का बयान बिल्कुल गलत और अपमानजनक है। यह सोनिया गांधी के विशेषाधिकार के उल्लंघन के समान है। इसलिए, यह मामला विशेषाधिकार का उल्लंघन और सदन की अवमानना ​​​​का भी बनता है।’’

भाषा हक हक वैभव

वैभव

 

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