नई दिल्ली। कृषि कानून के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को लेकर किसानों और सरकार के बीच बातचीत के बाद भी सहमति नहीं बन सकी है। किसान संगठन और विपक्षी दल इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, हालांकि सरकार इनको किसानों के हित में बता रही है। इन कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी सुनवाई कर रहा है।
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भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने अपनी राय दी है। सरकार संग किसानों की वार्ता बेनतीजा रहने के बाद टिकैत ने बयान दिया है कि- ‘हम खेत में बीज डालने के बाद चार-छह महीने इंतजार करते हैं। फिर फसल आती है और जब फसल पक जाती है तो ओले पड़ जाते हैं।
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इसके बाद भी खेत को छोड़ा नहीं जा सकता। अगली फसल की फिर तैयारी शुरू कर देते हैं। टिकैत ने राजस्थान में एक किसान का उदाहरण देकर बताया कि उसके गांव में 11 साल बारिश नहीं हुई। मगर किसान अपना गांव नहीं छोड़ता। वो अपना खेत नहीं छोड़ता, हर साल खेत में जाता है और जुताई करता है।
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एक सवाल के जवाब में राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन खत्म नहीं होगा। आंदोलन चाहे कितने भी दिन चले, जारी रहेगा। उन्होंने कहा- सामान भेजने पर थोड़ी रोक लगाई गई है क्योंकि आंदोलन स्थल पर दो से तीन महीने का राशन उपलब्ध है। 26 जनवरी पर किसानों की परेड पर राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार इस बार परेड छोटी निकाल रही है। अगर सरकार चाहे तो आगे की परेड किसान पूरी कर देंगे। परेड छोटी नहीं होनी चाहिए।
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टिकैत के मुताबिक आंदोलन में करीब 10 दौर की वार्ता हो चुकी है, सरकार पूर्ण रूप से अड़ियल रुख कर रही है। मामले में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा- किसान यूनियन टस से मस होने को तैयार नहीं है। उनकी लगातार ये कोशिश है कि कानूनों को रद्द किया जाए।
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