नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने संबंधी नोटिस और अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस से कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के संबंधों के आरोपों के मुद्दे पर बृहस्पतिवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप- प्रत्यारोप का दौर चला। इस कारण हुए हंगामे की वजह से उच्च सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजकर 12 मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान सभापति ने कहा कि उन्हें नियम 267 के तहत विभिन्न मुद्दों पर तत्काल चर्चा कराने के लिए कुल छह नोटिस मिले हैं। उन्होंने सारे नोटिस खारिज कर दिये।
इसके बाद विपक्षी सदस्यों और सभापति के बीच कुछ देर तकरार देखने को मिली।
बाद में सभापति ने नेता सदन जे पी नड्डा को बोलने का अवसर दिया। इसे लेकर विपक्षी सदस्यों की ओर से हंगामा शुरू हो गया।
हंगामे के बीच नड्डा ने नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की ओर से राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति के मुद्दे पर बुधवार को किए गए एक संवाददाता सम्मेलन का उल्लेख किया और कहा कि नियमों के हिसाब से आसन पर न तो सवाल उठाया जा सकता है और न ही इसकी आलोचना की जा सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे दुख के साथ कहना पड़ता है कि कल विपक्ष के नेता खरगे जी… जो बहुत वरिष्ठ और तजुर्बेकार नेता हैं…ने एक संवाददाता सम्मेलन करके आसन की आलोचना की। यह बहुत ही आपत्तिजनक है। सभी को इसकी निंदा करनी चाहिए। यह गलत परंपरा को रास्ता दिखाता है। इसकी जितनी भी निंदा की जाए वह कम है।’’
नड्डा ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया है कि सदन में उन्हें अवसर नहीं दिया जाता है जबकि सभापति ने कई बार नेता प्रतिपक्ष को अपने कक्ष में बुलाया लेकिन वह नहीं आए।
उन्होंने कहा कि यहां तक कई बार आसन की ओर से उन्हें पत्र भी लिखा गया।
उन्होंने कहा, ‘‘यह बताता है कि प्रजातांत्रिक परंपराओं और व्यवस्थाओं में आपकी कितनी रुचि है। कितना आप उसका आदर करते हैं।’’
नड्डा ने कहा कि कांग्रेस के आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडिल से सभापति को ‘चीयर लीडर’ तक कहा गया।
उन्होंने कहा, ‘‘इसकी जितनी भर्त्सना की जाए, वह कम है। संवैधानिक पद को इस तरीके से निशाना बनाया जाना, संवैधानिक पद का इस तरीके से अपमान करने का जो कुत्सित प्रयास किया गया है, उससे प्रजातांत्रिक मूल्यों और संसदीय प्रणाली को धक्का पहुंचा है। भारत की जनता आपको कभी माफ नहीं करेगी।’’
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नड्डा ने यह भी कहा कि संसद के परिसर में सभापति की मिमिक्री (नकल उतारा जाना) की गई और कांग्रेस के एक नेता उसका वीडियो बना रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘देश जानना चाहता है कि इस सदन में कांग्रेस की वरिष्ठतम नेता का जॉर्ज सोरोस से क्या संबंध है? सोनिया (गांधी) जी का क्या संबंध है सोरोस से।’’
नड्डा ने आरोप लगाया कि भारत को अस्थिर करने के लिए सोरोस अरबों रुपये चंदे के रूप में देता है और उसकी आवाज ‘कठपुतली बनकर’ कांग्रेस पार्टी यहां उठाती है और देश को अस्थिर करती है।
नेता सदन ने सभापति के खिलाफ की गई टिप्पणियों के लिए सदन में एक निंदा प्रस्ताव लाने की भी बात की।
सभापति ने विपक्ष के नेता खरगे को भी अपनी बात रखने का अवसर दिया। इस दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।
खरगे ने कहा कि नेता सदन ने जो बातें कही हैं, वह मूल विषय को भटकाने का प्रयास है।
हंगामा बढ़ते देख सभापति ने सदन की कार्यवाही 11 बजकर 32 मिनट पर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
दोपहर दो बजे बैठक फिर शुरू होने पर सदन में वही नजारा देखने को मिला। सत्ता पक्ष एवं विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सभापति ने पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल (एस) के नेता एच डी देवेगौड़ा को बोलने का अवसर दिया। उन्होंने कहा कि वह नेता प्रतिपक्ष खरगे को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं और वह एक बहुत ही योग्य एवं अनुभवी नेता हैं।
देवेगौड़ा ने कहा कि खरगे की पार्टी के सदस्यों को सदन में हंगामा नहीं करना चाहिए और चर्चा के माध्यम से अपनी बात रखनी चाहिए।
सभापति ने तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन को व्यवस्था का प्रश्न उठाने का अवसर दिया। किंतु डेरेक ने जो मुद्दा उठाया, सभापति ने उसे सदन की कार्यवाही से यह कहकर हटाने का निर्देश दिया कि यह मुद्दा व्यवस्था से जुड़ा नहीं है।
इसके बाद सभापति ने नेता प्रतिपक्ष खरगे को व्यवस्था का प्रश्न उठाने का अवसर दिया। हंगामे के बीच खरगे ने सदन में किसी सदस्य के विरुद्ध आरोप लगाये जाने से जुड़े नियम की ओर आसन का ध्यान आकृष्ट किया।
खरगे ने कहा कि सदन में निराधार आरोप लगाये जा रहे हैं। उन्होंने सदन में हो रहे हंगामे की ओर संकेत करते हुए कहा, ‘‘इस प्रकार के व्यवधान की अनुमति कौन दे रहा है?’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘लोकतंत्र हमेशा दो पहियों पर चलता है। एक पहिया विपक्ष और दूसरा पहिया सत्तारूढ़ दल है। लेकिन आप दोनों के लिए एंपायर हैं। अगर आप एम्पायरी छोड़कर एकतरफा निर्णय लिये (करेंगे) तो यह देश के लिए अच्छा नहीं होगा।’’
खरगे अपनी बात पूरी कर पाते, उससे पहले ही सदन में हो रहे भारी शोर-शराबे को देखते हुए सभापति ने बैठक को दोपहर दो बजकर 12 मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।
भाषा माधव अविनाश
अविनाश
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