नई दिल्ली: Parliament Session 2024 के लोकसभा चुनाव में ये नारा खूब गूंजा था। राहुल गांधी और इंडिया गठबंधन ने इसे जोर शोर से भुनाया। चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं और नई सरकार भी आकार ले चुकी है। लेकिन लगता है कि विपक्ष एक बार फिर संविधान पर ही आर-पार की लड़ाई के मूड में है। 18वीं लोकसभा का सत्र शुरू होने के साथ संसद भवन में इसकी झलक साफ देखने को मिली।
Parliament Session लोकसभा सत्र के आगाज के साथ सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तलवारें खीच गई है। संसद परिसर में कांग्रेस ने राष्ट्रपति महात्मा गांधी और बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा हटाने के खिलाफ संविधान की किताब दिखाकर प्रदर्शन किया। विपक्ष के नेता संविधान की कॉपी लेकर क्यों पहुंचे और उसके प्रदर्शन पर सत्तापक्ष ने क्या जवाब दिया। बताएं उससे पहले आपको एक दूसरी तस्वीर भी दिखाते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी जब लोकसभा में शपथ लेने के लिए अध्यक्ष की आसंदी के पास पहुंचे, तो शपथ लेने पहले उन्होंने वहां बैठे सभी सांसदों का अभिवादन किया। तभी राहुल गांधी ने भी उन्हें अभिवादन करते हुए उन्हें संविधान की किताब दिखाई।
दरअसल राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई नेता मोदी सरकार से संविधान को खतरा बता रहे हैं। दूसरी तरफ सत्तापक्ष संविधान को लेकर विपक्ष के आरोपों पर उसे करारा जवाब दे रहा है। सरकार और विपक्ष के बीच टकराव की ये तो बस एक बानगी भर है। दरअसल इसकी शुरूआत तभी हो गई थी। जब सरकार ने प्रोटेम स्पीकर के रूप में ओडिशा से 7 बार के सांसद भर्तृहरि महताब के नाम पर मुहर लगाई थी।
विपक्ष का आरोप है कि भर्तृहरि मौजूदा लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सांसद नहीं हैं। उन्हें प्रोटेम स्पीकर बनाकर सरकार ने दो सासंदों की वरिष्ठता की अनदेखी की गई। इसके विरोध में इंडिया ब्लॉक के तीन सांसद कांग्रेस से के सुरेश, TMC से सुदीप बंदोपाध्याय और DMK से टीआर बालू ने प्रोटेम स्पीकर की सहायता के लिए बने 5 सांसदों के पीठासीन अधिकारी के पैनल से नाम वापस ले लिया है। इसे लेकर छिड़ी बहस अब भी जारी है।
संसद सत्र का आगाज ऐसा है तो सोचिए अंजाम कैसा होगा. सांसद का मंच यू तो चर्चा, बहस और वाद विवाद का है। ताकि जनता के हित में लिए जाने वाले फैसलों पर गहन विचार विमर्श के बाद किसी नतीजे पर पहुंचा जाए। हालांकि ये भी सच है कि देश में 10 साल बाद गठबंधन सरकार बनी है और विपक्ष संख्याबल में पहले से ज्यादा ताकतवर हुआ है। ऐसे में सरकार के लिए विपक्ष की अनदेखी करना आसान नहीं होगा। उम्मीद है आने वाले दिनों में सत्ता पक्ष और विपक्ष संसद में चर्चा करेंगे और 18वी लोकसभा राष्ट्रहित में ऐतिहासिक फैसलों की गवाह बनेगी।