‘क्वाड’ ने स्वतंत्र, स्थिर हिंद-प्रशांत के लिए काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई |

‘क्वाड’ ने स्वतंत्र, स्थिर हिंद-प्रशांत के लिए काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई

‘क्वाड’ ने स्वतंत्र, स्थिर हिंद-प्रशांत के लिए काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई

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Modified Date: December 31, 2024 / 11:48 AM IST
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Published Date: December 31, 2024 11:48 am IST

नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) भारत और ‘क्वाड’ (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) के अन्य सदस्य देशों ने ऐसे स्वतंत्र एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की दिशा में काम करने की अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता मंगलवार को दोहराई, जो शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध हो।

समूह के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने ‘क्वाड’ सहयोग की 20 वीं वर्षगांठ पर एक संयुक्त बयान जारी कर यह प्रतिबद्धता दोहराई।

विदेश मंत्रियों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन द्वारा अपनी शक्ति का प्रदर्शन किए जाने के बीच कहा कि ‘क्वाड’ इस क्षेत्र की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए मिलकर काम करेगा।

भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान 20 साल पहले 2004 में हिंद महासागर में आए भूकंप और सुनामी के बाद सहायता मुहैया कराने के लिए एक साथ आगे आए थे। इस गठबंधन को अब ‘क्वाड’ के नाम से जाना जाता है।

संयुक्त वक्तव्य में कहा गया, ‘‘साझेदारों के रूप में हमारा एक ऐसे स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर साझा दृष्टिकोण है जो शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध हो।’’

‘क्वाड’ के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में 10 देशों के समूह आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) की महत्ता की भी बात की।

मंत्रियों ने कहा, ‘‘ हम आसियान देशों की महत्ता एवं एकता के साथ-साथ हिंद-प्रशांत पर उसके दृष्टिकोण को मुख्यधारा में लाने और लागू करने के लिए अपने अटूट समर्थन की पुष्टि करते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रशांत क्षेत्र के नेतृत्व वाली क्षेत्रीय संरचना का सम्मान करते हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण प्रशांत द्वीप समूह मंच है। हम क्षेत्र के प्रमुख संगठन हिंद महासागर रिम एसोसिएशन के प्रति भी दृढ़ समर्थन व्यक्त करते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘क्वाड क्षेत्र की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।’’

‘क्वाड’ के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने हिंद महासागर में आए भूकंप और सुनामी का जिक्र करते हुए बताया कि चारों देश चुनौतियों का सामना करने के लिए किस तरह एक साथ आगे आए।

उन्होंने कहा, ‘‘सुनामी इतिहास की सबसे भयानक आपदाओं में से एक थी, जिसमें 14 देशों में लगभग 25 लाख लोगों की जान चली गई और 17 लाख लोग विस्थापित हुए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे चारों देशों ने मिलकर 40,000 से अधिक आपातकालीन प्रतिक्रिया दल भेजे तथा आपदा से प्रभावित लाखों लोगों की सहायता के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अन्य भागीदारों के साथ मिलकर काम किया।’’

मंत्रियों ने बयान में कहा कि मानवीय सहायता और आपदा राहत को लेकर चारों देशों की आधारभूत प्रतिबद्धता मजबूत बनी हुई है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम क्षेत्र में आपदाओं से निपटने की तैयारी करने और इस दिशा में त्वरित एवं प्रभावी कदम उठाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम चारों देशों ने 2024 में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपदा से निपटने की तैयारियों और जीवन रक्षक राहत प्रयासों के लिए मिलकर काम किया और हम मानवीय संकटों एवं आपदाओं से बेहतर तरीके से निपटने के नए तरीकों की पहचान करने के लिए इन प्रयासों को बढ़ाना जारी रखेंगे।’’

भाषा सिम्मी रंजन

रंजन

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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