‘‘बेशर्मी’’ से गैंगस्टर मुख्तार अंसारी को बचा रही पंजाब सरकार, यूपी सरकार ने न्यायालय से कहा | Punjab is "brazenly" protecting gangster Mukhtar Ansari: UP govt says

‘‘बेशर्मी’’ से गैंगस्टर मुख्तार अंसारी को बचा रही पंजाब सरकार, यूपी सरकार ने न्यायालय से कहा

‘‘बेशर्मी’’ से गैंगस्टर मुख्तार अंसारी को बचा रही पंजाब सरकार, यूपी सरकार ने न्यायालय से कहा

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:29 PM IST
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Published Date: February 24, 2021 11:25 am IST

नई दिल्ली, 24 फरवरी (भाषा) । उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि पंजाब सरकार गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी का ‘‘बेशर्मी’’ से बचाव कर रही है और विभिन्न मामलों में मुकदमों की सुनवाई का सामना करने के लिए उसे उत्तर प्रदेश नहीं भेज रही है। अंसारी रंगदारी के एक कथित मामले में पंजाब के रूपनगर जिला जेल में बंद है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आरएस रेड्डी की पीठ ने पंजाब सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे के प्रतिवेदन का संज्ञान लिया, जिसमें उन्होंने निजी कारणों का हवाला देते हुए मामले को स्थगित करने का अनुरोध किया था।

उत्तर प्रदेश की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें दवे की मामले को स्थगित करने की याचिका पर कोई आपत्ति नहीं है।
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शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई को दो मार्च तक स्थगित कर दी।

अंसारी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि मुख्तार एक मामूली व्यक्ति हैं जिस पर राज्य (प्रशासन) का शिकंजा कसा जा रहा है।

इस पर मेहता ने कहा, ‘‘ आप एक मामूली व्यक्ति हैं, जिसे राज्य (पंजाब) बेशर्मी से बचा रहा है।’’

अंसारी जनवरी 2019 से पंजाब में रूपनगर जिला जेल में बंद है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने शीर्ष अदालत को दी गई लिखित अर्जी में कहा है कि अंसारी के हिरासत हस्तांतरण की योजना बारीकी से बनायी गई थी और संदेह जताया कि इलाहाबाद के विशेष एमपी/एमएलए अदालत के न्यायाधीश के समक्ष उनके खिलाफ सुनवाई में देरी की साजिश की जा रही है।
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राज्य सरकार ने कहा कि उसे मोहाली के न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित मामले को उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद के विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए) में स्थानांतरित करवाने का अधिकार है क्योंकि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 406 (मुकदमों और अपील को स्थानांतरित करने के उच्चतम न्यायालय का अधिकार) के तहत उत्तर प्रदेश ‘‘संबंधित पक्ष’’ है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा, ‘‘दंड प्रक्रिया संहिता के तहत विचाराधीन बंदी के स्थानांतरण के लिए कोई विशेष प्रावधान या जेल मैन्युअल नहीं है, फिर भी न्यायालय भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत निहित अधिकार का उपयोग करके परिस्थिति और तथ्यों पर विचार करते हुए वादी संख्या 3 (अंसारी) को उत्तर प्रदेश के जिला जेल, बांदा स्थानांतरित करने का आदेश दे सकता है।’’

अर्जी में कहा गया है कि अंसारी की झूठी अर्जी कि वह उत्तर प्रदेश इसलिए नहीं जाना चाहते हैं क्योंकि उनकी जान को खतरा है, पंजाब सरकार की अर्जी से बिलकुल अलग है जिसमें कहा गया है कि वह मेडिकल कारणों से यात्रा नहीं कर सकते।

उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा, पंजाब सरकार का व्यवहार स्पष्ट है क्योंकि पिछले दो साल में ना तो अंसारी ने जमानत की कोई अर्जी दी है और नाहीं पंजाब पुलिस ने आरोपी को दो साल तक जेल में बंद रखने के बावजूद आरोपपत्र दाखिल किया है।

उसने कहा, ‘‘उससे भी अजीब बात यह है कि मुख्तार अंसारी पंजाब सरकार की देखरेख वाली जेल से उत्तर प्रदेश में अपनी गैरकानूनी गतिविधियां चला रहा है।’’

उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा, ‘‘वादी संख्या 3 (अंसारी) का पंजाब के रुपनगर जेल से उत्तर प्रदेश के बांदा जिला जेल में स्थानांतरण आवश्यक है और मुकदमे की सुनवाई में वीडियो कांफ्रेंस के जरिए पेशी से मसला हल नहीं होगा क्योंकि अतीत में ऐसा कई बार हो चुका है जब इस माध्यम से उपस्थिति दर्ज नहीं कराई जा सकी है। इस कारण से इलाहाबाद के विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए अदालत) मुकदमे की त्वरित सुनवाई पूरी नहीं कर सके हैं।’’

शीर्ष अदालत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पंजाब राज्य और रूपनगर जेल अधिकारियों को तत्काल अंसारी को जिला जेल बांदा को सौंपने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
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याचिका में रंगदारी मामले के संबंध में पंजाब में चल रही आपराधिक कार्यवाही और सुनवाई को इलाहाबाद की विशेष अदालत में स्थानांतरित करने के निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया।

शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में पंजाब ने अंसारी के स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कहा कि जनवरी 2019 से उसका जेल के अस्पताल और अन्य अस्पतालों में इलाज चल रहा है।

अंसारी के स्वास्थ्य और डॉक्टरों के सुझाव का हवाला देते हुए उसने कहा कि अंसारी को ‘‘ समय-समय पर चिकित्सा अधिकारियों / चिकित्सा बोर्ड / विशेषज्ञों की विशिष्ट सलाह के कारण उत्तर प्रदेश को नहीं सौंपा जा सकता।’’