चंडीगढ़, 26 दिसंबर (भाषा) पंजाब के किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बृहस्पतिवार को कहा कि 30 दिसंबर को ‘पंजाब बंद’ के आह्वान को विभिन्न वर्गों से अच्छा समर्थन मिल रहा है।
‘पंजाब बंद’ का आह्वान करने का निर्णय पिछले सप्ताह संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) द्वारा लिया गया था।
बंद की सफलता सुनिश्चित करने के लिए एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम ने बृहस्पतिवार को खनौरी विरोध प्रदर्शन स्थल पर ट्रांसपोर्टर, कर्मचारियों, व्यापारियों और अन्य की एक बैठक बुलाई।
पंधेर ने खनौरी सीमा पर संवाददाताओं को बताया कि 30 दिसंबर को सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक ‘पंजाब बंद’ का आयोजन किया जाएगा। पंधेर ने कहा कि 30 दिसंबर को ‘पूर्ण बंद’ रहेगा।
हालांकि आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी।
पंधेर ने कहा कि व्यापारियों, ट्रांसपोर्टर, कर्मचारी संघों, टोल प्लाजा कर्मचारियों, श्रमिकों, भूतपूर्व सैनिकों, सरपंचों, शिक्षक संघों, सामाजिक एवं अन्य निकायों तथा कुछ अन्य वर्गों ने बंद को अपना समर्थन दिया है। किसान नेता ने कहा कि इसके अलावा आम लोग भी इसका समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बंद केंद्र को किसानों की मांगें मानने के लिए मजबूर करेगा। उन्होंने किसानों की मांगें नहीं मानने के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर तब से डेरा डाले हुए हैं जब सुरक्षा बलों ने उन्हें दिल्ली कूच करने से रोक दिया था।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी सहित किसानों की मांगें स्वीकार करने के वास्ते केंद्र पर दबाव बनाने के लिए किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल (70) 26 नवंबर से खनौरी सीमा पर आमरण अनशन पर बैठे हैं।
डल्लेवाल की बिगड़ती सेहत के बीच बुधवार को पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के एक प्रतिनिधिमंडल ने खनौरी धरना स्थल पर किसान नेता से मुलाकात की और उनसे यह कहते हुए इलाज कराने का आग्रह किया कि उनका स्वास्थ्य ‘‘महत्वपूर्ण’’ है।
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के वरिष्ठ नेता काका सिंह कोटड़ा ने खनौरी सीमा पर बृहस्पतिवार को पंधेर के साथ मीडिया को संबोधित किया और आप नेताओं को याद दिलाया कि ‘‘जब उनके नेता अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया था तब वे सामूहिक अनशन पर बैठे थे। अब वे जाकर प्रधानमंत्री के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन क्यों नहीं कर सकते।’’
कोटड़ा का मानना है कि पंजाब में सत्तारूढ़ आप प्रदर्शनकारी किसानों की मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र पर्याप्त दबाव नहीं बना रही है। उन्होंने कहा कि उन्हें (आप) जो भूमिका निभानी चाहिए थी, वह उन्होंने नहीं निभायी।
कोटड़ा ने सवाल किया, ‘‘क्या एमएसपी की कानूनी गारंटी दिए जाने से केवल पंजाब के किसानों को फायदा होगा?’’
किसान की मांगों में फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी के अलावा, कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं किये जाने, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’ की मांग शामिल है।
भाषा शुभम अमित
अमित
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