पूजा पंडाल के बाहर प्रदर्शन: गिरफ्तार किये गए नौ युवकों को अदालत ने पुलिस की हिरासत में भेजा |

पूजा पंडाल के बाहर प्रदर्शन: गिरफ्तार किये गए नौ युवकों को अदालत ने पुलिस की हिरासत में भेजा

पूजा पंडाल के बाहर प्रदर्शन: गिरफ्तार किये गए नौ युवकों को अदालत ने पुलिस की हिरासत में भेजा

:   Modified Date:  October 10, 2024 / 10:37 PM IST, Published Date : October 10, 2024/10:37 pm IST

कोलकाता, 10 अक्टूबर (भाषा) कोलकाता की एक अदालत ने उन नौ युवकों को बृहस्पतिवार को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया, जिन्हें आरजी कर बलात्कार-हत्या मामले के संबंध में दुर्गा पूजा पंडाल के बाहर ‘‘हमें न्याय चाहिए’’ के नारे लगाने को लेकर गिरफ्तार किया गया था।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, नौ युवकों को बृहस्पतिवार शाम अलीपुर अदालत में पेश किया गया, जिनमें से अधिकतर की उम्र 20 वर्ष से अधिक है और केवल एक की उम्र 18 वर्ष है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘सभी नौ आरोपियों को 17 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। इनमें से कोई भी कनिष्ठ चिकित्सक नहीं है। वे नक्सल समर्थक एक छात्र संगठन के सदस्य हैं।’’

एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने आरोपियों को बुधवार शाम दक्षिण कोलकाता के एक दुर्गा पूजा पंडाल से गिरफ्तार किया था, जहां वे आरजी कर अस्पताल मामले की पीड़िता के लिए न्याय की मांग को लेकर कनिष्ठ चिकित्सकों द्वारा किये जा रहे विरोध प्रदर्शन के समर्थन में पर्चे बांट रहे थे एवं नारे लगा रहे थे।

उन्होंने बताया कि युवकों को देशप्रिय पार्क में त्रिधारा सम्मिलनी पूजा के दौरान गिरफ्तार किए जाने के बाद लालबाजार स्थित कोलकाता पुलिस मुख्यालय लाया गया।

प्रदर्शन कर रहे एक कनिष्ठ चिकित्सक ने युवकों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘यह अब केवल चिकित्सकों का विरोध प्रदर्शन नहीं रह गया है। यह अब एक बड़ा आंदोलन बन गया है जिसमें आम लोग भी शामिल हो रहे हैं। संदेश स्पष्ट है कि जो कोई भी हमारे आंदोलन के समर्थन में नारे लगाएगा, उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। हम इस कार्रवाई की निंदा करते हैं।’’

तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुणाल घोष ने कहा कि विरोध करने के लिए हर कोई स्वतंत्र है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे अपने मन मुताबिक कहीं भी प्रदर्शन शुरू कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, मेरा यह भी मानना ​​है कि पुलिस उन्हें हिरासत में लेकर रिहा कर सकती थी।’’

भाषा सिम्मी सुभाष

सुभाष

 

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