पिछड़ी जातियों को आबादी के अनुपात में आरक्षण के लिए राज्यसभा में निजी विधेयक पेश |

पिछड़ी जातियों को आबादी के अनुपात में आरक्षण के लिए राज्यसभा में निजी विधेयक पेश

पिछड़ी जातियों को आबादी के अनुपात में आरक्षण के लिए राज्यसभा में निजी विधेयक पेश

:   Modified Date:  July 26, 2024 / 05:41 PM IST, Published Date : July 26, 2024/5:41 pm IST

नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) राज्यसभा में शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के सदस्य जावेद अली खान ने एक निजी विधेयक पेश करते हुए मांग की कि पिछड़ी जातियों को उनकी आबादी के अनुपात में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन किए जाने चाहिए।

खान ने उच्च सदन में अपना निजी विधेयक संविधान (संशोधन) विधेयक, 2022 (अनुच्छेद 16 का संशोधन) चर्चा के लिए रखते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 16 में उन पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है जिनका सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व नहीं है।

खान ने कहा कि उन्होंने संशोधन पेश किया है कि पिछड़े वर्गों की आबादी के अनुपात में उन्हें आरक्षण मिलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि 26 जुलाई का दिन आरक्षण के इतिहास में काफी अहम है क्योंकि इसी दिन छत्रपति शाहूजी महाराज ने अपने राज्य में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की शुरुआत की थी।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत तय की है और कई राज्यों की मंशा इस सीमा से अधिक आरक्षण मुहैया कराने की है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में कुल 69 प्रतिशत आरक्षण है और वह सकल घरेलू उत्पाद, औद्योगिकीकरण सहित विभिन्न क्षेत्रों में काफी आगे है।

खान ने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की समूह ए, बी, सी और डी वर्गों की नौकरियों में पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के कर्मियों की संख्या 27 प्रतिशत से भी कम है।

उन्होंने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि उसने पिछले 10 साल में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी श्रेणियों में खाली पदों को भरने के लिए कोई विशेष अभियान नहीं चलाया।

निजी विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस सदस्य नीरज डांगी ने जाति आधारित जनगणना की मांग की। उन्होंने मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को लागू किया था जिसे बाद में उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी।

इसी दौरान भाजपा के कुछ सदस्यों ने डांगी की टिप्पणी का प्रतिकार किया। इसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया।

सदन में हंगामे को देखते हुए पीठासीन अध्यक्ष एस फान्गनॉन कोन्याक ने अपराह्न तीन बजे सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी।

एक बार के स्थगन के बाद अपराह्न चार बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा।

डांगी ने अपनी बात रखने का प्रयास किया लेकिन सत्ता पक्ष का हंगामा जारी रहा।

हंगामे के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने सदस्यों से शांत होने की अपील करते हुए कहा कि अगर वे किसी बात से असहमत हैं तो अपनी बारी आने पर वे अपना पक्ष रख सकते हैं लेकिन सदन में व्यवधान उचित नहीं है।

इसी दौरान केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य संजय सिंह के एक ट्वीट का जिक्र किया जिसमें आप सदस्य ने कथित तौर पर कहा था कि जावेद अली ख़ान के निजी विधेयक पर भाजपा ने हंगामा किया और सदन को स्थगित करा दिया।

गोयल ने कहा कि सिंह ने अपने ट्वीट के जरिए आसन का अपमान किया है और उन्हें सदन से माफी मांगनी चाहिए। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने सिंह से अपना ट्वीट हटाने की मांग की।

रिजीजू ने कहा कि विपक्ष के सदस्य सदन को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के नेता आरक्षण का विरोध करते रहे हैं।

इसी दौरान संजय सिंह ने कहा कि उनकी प्रबल धारणा है कि भाजपा हमेशा पिछड़ों, दलितों एवं आदिवासियों के खिलाफ रही है।

सदन में हंगामे के बीच सिंह ने कहा कि सत्ता पक्ष के सदस्य उन्हें जेल भेजने की धमकी दे रहे हैं लेकिन वह ऐसी बातों से नहीं डरने वाले हैं।

सदन में हंगामे से अप्रसन्न सभापति ने सदन की आचार समिति का जिक्र करते हुए कहा कि सदस्यों को मर्यादित आचरण करना चाहिए।

हंगामे के बीच ही डांगी ने अपनी बात रखी और जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग की। उन्होंने दावा किया कि आरक्षित श्रेणी के हजारों पद रिक्त हैं और बैकलॉग को भरने की सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा कि आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी बड़ी संख्या में बैकलॉग है।

उन्होंने निजी क्षेत्र में भी आरक्षण मुहैया कराए जाने की मांग की।

विधेयक पर चर्चा अधूरी रही।

भाषा अविनाश माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)